Hindi, asked by note27204, 7 months ago

संघषर् के मागर् म अकेला ही चलना पड़ता है। कोई बाहरी शिक्त आपकी सहायता नहीं करती है। पिरम, ढ़ इछा शिक्त व लगन आिद मानवीय गुण यिक्त को संघषर् करने और जीवन म सफलता प्रात करने का मागर् प्रशत करते ह। दो महवपूणर् तय मरणीय है –प्रयेक समया अपने साथ संघषर् लेकर आती है। प्रयेक संघषर् के गभर् म िवजय िनिहत रहती है। एक अयापक छोड़ने वाले अपने छात्र को यह संदेश िदया था| जीवन म सफल होने के िलए सघष र् करने को अयास करना होगा। हम कोई भी काय र् कर , सवच िशखर पर पहुँचने का संकप लेकर चल। सफलता हम कभीपढ़ िनराश नहीं करेगी। समत ग्रंथ और महापुष के अनुभव को िनकषर् यह है िक संघषर् से डरना अथवा उससे िवमुख होना अिहतकर है, मानव धमर् के प्रितकूल है और अपने िवकास को अनावयक प से बािधत करना है। आप जािगए, उिठए ढ़- संकप और उसाह एवं साहस के साथ संघषर् पी िवजय रथ पर चिढ़ए और अपने जीवन के िवकास की बाधाओं पी शत्रओु ं पर िवजय प्रात कीिजए। प्र-5-उिचत शीषर्क िलिखए| plz answer me fast

Answers

Answered by dileepsai749
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Answer:

अपठित’ गद्यांश या पद्यांश का अर्थ है- जो पहले पढ़ा गया न हो। अपठित गद्यांश या पद्यांश पाठ्यपुस्तकों से नहीं लिए जाते। ये ऐसे गद्यांश या पद्यांश होते हैं जिन्हें छात्र पहले कभी नहीं पढ़ा होता। इस प्रकार के गद्यांश-पद्यांश देकर छात्रों से उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए अनुच्छेद को दो-तीन बार पढ़ना चाहिए। इसके बाद अनुच्छेद के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर अपने शब्दों में लिखने चाहिए। भाषा स्पष्ट और शुद्ध होनी चाहिए।

उदाहरण ( उत्तर सहित)

1. संसार में शांति, व्यवस्था और सद्भावना के प्रसार के लिए बुद्ध, ईसा मसीह, मुहम्मद चैतन्य, नानक आदि महापुरुषों ने धर्म के माध्यम से मनुष्य को परम कल्याण के पथ का निर्देश किया, किंतु बाद में यही धर्म मनुष्य के हाथ में एक अस्त्र बन गया। धर्म के नाम पर पृथ्वी पर जितना रक्तपात हुआ उतना और किसी कारण से नहीं। पर धीरे-धीरे मनुष्य अपनी शुभ बुधि से धर्म के कारण होने वाले अनर्थ को समझने लग गया है। भौगोलिक सीमा और धार्मिक विश्वासजनित भेदभाव अब धरती से मिटते जा रहे हैं। विज्ञान की प्रगति तथा संचार के साधनों में वृद्धि के कारण देशों की दूरियाँ कम हो गई हैं। इसके कारण मानव-मानव में घृणा, ईष्र्या वैमनस्य कटुता में कमी नहीं आई। मानवीय मूल्यों के महत्त्व के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने का एकमात्र साधन है शिक्षा का व्यापक प्रसार।

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Answered by Anonymous
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Answer:

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