Social Sciences, asked by hello40, 1 year ago

संघवाद क्या है class 10

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Answered by VikashRaut
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सरकार का तंत्रा जिसमें सत्ता केन्द्रीय प्राधिकार व उसकी विभिन्न आनुषंगिक इकाइयों में बंट जाती है। संघीय शासन व्यवस्था में सर्वोच्च सत्ता केन्द्रीय प्राधिकार और उसकी विभिन्न आनुषंगिक इकाइयों के बीच बंट जाती है। आम तौर पर संघीय व्यवस्था में दो स्तर पर सरकारें होती हैं। इसमें एक सरकार पूरे देश के लिए होती है जिसके जिम्मे राष्ट्रीय महत्व के विषय होते हैं। फिर, राज्य या प्रांतों के स्तर की सरकारें होती हैं जो शासन के दैनदिन कामकाज को देखती हैं। सत्ता के इन दोनों स्तर की सरकारें अपने-अपने स्तर पर स्वतंत्रा होकर अपना काम करती हैं। 
एकात्मक शासन : 
एकात्मक व्यवस्था में शासन का एक ही स्तर होता है और बाकी इकाइयाँ उसके अधीन होकर काम करती हैं। इसमें केंद्रीय सरकार प्रांतीय या स्थानीय सरकारों को आदेश दे सकती है। पर संघीय व्यवस्था में केंद्रीय सरकार राज्य सरकार को कुछ खास करने का आदेश नहीं दे सकती। राज्य सरकारों के पास अपनी शक्तियाँ होती है और इसके लिए वह केंद्रीय सरकार को जवाबदेह नहीं होती हैं। ये दोनों ही सरकारें अपने-अपने स्तर पर लोगों को जवाबदेह होती है।

hello40: very long answer
hello40: so please send me short answer
Answered by avaniaarna
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Answer:

संघवाद (फ़ेडरलिज़्म) संवैधानिक राजसंचालन की उस प्रवृत्ति का प्रारूप है जिसके अंतर्गत विभिन्न राज्य एक संविदा द्वारा एक संघ की स्थापना करते हैं। इस संविदा के अनुसार एक संघीय सरकार एवं अनेक राज्य सरकारें संघ की विभिन्न इकाइयाँ हो जाती हैं।

Note:- इंडिया में फ़ेडरलिज़्म 'कनाडा' से लिया गया है।

सामान्य रूप से प्रभुसत्ता का विभाजन संघीय एवं राज्यसरकारों के मध्य उनके संविधान में उल्लिखित होता है जो उस संविदा को अंतिम रूप से पुष्ट करता है। साधारणतया संघीय सरकार को ऐसे कार्यों के संचालन का भार दिया जाता है जिन्हें क्षेत्रविस्तार खर्चीला अथवा दुरूह होने के कारण राज्य स्वयं चलाने में कठिनाई प्रतीत करते हैं। अत: इन कार्यों के चलाने के लिए वे सब इकाइयाँ प्रतीत करते हैं। अत: इन कार्यों के चलाने के लिए वे सब इकाइयाँ अपनी राजशक्तियों का एक निश्चित भाग संघीय सरकार को अधिकार एवं साधन के रूप में प्रदान कर देते हैं। शेष अन्य विषयों में राज्य स्वयं कार्यभार वहन करते हैं एवं उसके प्रतिरूप अधिकार एवं साधन के रूप में प्रदान कर देते हैं। शेष अन्य विषयों में राज्य स्वयं कार्यभार वहन करते हैं एवं उसके प्रतिरूप अधिकार एवं साधन संविधान द्वारा लेते हैं। इस प्रकार एकात्मक संविधान (यूनिटरी संविधान) के विपरीत संघात्मक संविधान एक ही संविधान के अंतर्गत राजद्वै (डुवल पालिटी) को स्थापना करता है। परिणामस्वरूप ऐसे संघ के नागरिक दो प्रकार की सरकारों, संघीय एवं राज्य सरकारों के अधीनस्थ होते हैं।

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