Hindi, asked by gbijal9, 3 months ago

सौहार्द सौमनस्य कविता का भावार्थ​

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Answered by eklavya01985sbhilwar
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प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि कुरैशी लिखित 'सौहार्द-सौमनस्य' कविता से ली गई हैं। दुनिया में यदि व्यक्ति किसी से प्यार करेगा तो उसे प्यार के बदले में प्यार ही मिलेगा। किसी को भी समाज में सम्मान व प्यार अपने आप नहीं मिलता। प्यार तो नकद का काम है, वह कभी उधार नहीं रहता।

Answered by vikasbarman272
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सौहार्द सौमनस्य कविता का भावार्थ

  • यह कविता कवि कुरैशी लिखित हैं।
  • ईश्वर के नाम पर लोग धर्म, नस्ल, जाति, भाषा और संप्रदाय के मुद्दों पर आपस में लड़ते हैं। वह भगवान स्वयं कवि के सपने में प्रकट हुए और कहा कि उन्हें पसंद नहीं है कि लोग उनके लिए इस तरह लड़ें और झगड़ें। ये सब मानवता के विरुद्ध और अमानवीय व्यर्थ साधन हैं। कवि चाहता है कि सभी भारतीय एक दूसरे के साथ सद्भाव से रहें। तो वह कहता है कि उस समय कितना अच्छा होगा; जब सभी भारतीय एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना सीखें। यह तभी संभव हो सकता है जब पृथ्वी मे रहने वाले सभी मानव समाज आपस में मिल जुलकर एकता स्थापित करे ।

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