सिंहासन हिल उठे राजवंशो ने भृकुटि तानी थी,भूढ़े भारत में भई आयी फिरसे नयी जवानी थी,जिमि हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी, चमक उठी सन सत्तावन मेंवह तलवार पुराणी थी बुंदेले हर बालो के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
Answers
Answered by
0
Answer:
this poem of class 6 chapter 11
Similar questions