साहित्यिक पत्रकारिता को समझाइए
Answers
Answer:
Hope it will help you ..
Please Thanks ....
साहित्यिक पत्रकारिता को समझाइए।
साहित्यिक पत्रकारिता से तात्पर्य साहित्य के माध्यम से अपने विचारों का प्रचार-प्रसार करने से है।
व्याख्या :
जिस तरह आम पत्रकारिता के माध्यम से लेखों ओर फीचर आदि द्वारा अपने विचारों का प्रचार-प्रचार प्रसार किया जाता है। उसी तरह साहित्यिक पत्र-पत्रिका और पुस्तकों के माध्यम से साहित्य का प्रचार किया जाता है।
भारत में हिंदी भाषा की साहित्य पत्रकारिता की शुरुआत 19वीं सदी में हुई और साहित्य पत्रकारिता के प्रवर्तक भारतेंदु हरिश्चंद्र को माना जाता है। उन्होंने ही सर्वप्रथम साहित्यिक पत्रिका 'कवि वचन सुधा' का प्रकाशन 1968 में आरंभ किया था।
उसके बाद द्विवेदी युग में अनेक साहित्यिक पत्रिकाओं का प्रकाशन आरंभ हुआ और साहित्यिक पत्रकारिता का एक क्रम चल पड़ा। इसी तरह अनेक साहित्यिक पत्रिकाओं के माध्यम से साहित्य का प्रचार-प्रसार किया जाता रहा है, जिसमें हंस, सरस्वती, कादम्बिनी आदि पत्रिकाओं का नाम प्रमुख हैं, यही साहित्यिक पत्रकारिता है।