साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए
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आदि से अंत तक इन्हीं चित्तवृत्तियों की परम्परा को परखते हुए साहित्य परम्परा के साथ उनका सामंजस्य दिखाना साहित्य का इतिहास कहलाता है। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का मत है कि साहित्य का इतिहास ग्रंथों और ग्रंथकारों के उद्भव और विलय की कहानी नहीं है वह काल स्रोत में बहे आते हुए जीवन्त समाज की विकास कथा है।
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