Hindi, asked by jiyalal91, 6 hours ago

साहित्य और साहित्यकार एक-दूसरे से अभिन्न रूप में जुड़े होते हैं। समाज में अथवा जीवन के विभिन्न चरणों में प्रतिदिन अच्छा-बुरा जो भी घटित होता है उसका प्रभाव सभी के मन एवं मस्तिष्क पर पड़ता है। साहित्यकार भी इन सबसे बच नहीं पाता। सामान्य जन एवं साहित्यकार में मुख्य अन्तर यह है कि जनसामान्य अपनी संवेदनाओं को वाणी नहीं दे पाता, परन्तु साहित्यकार यह कार्य कर सकता है। संवेदनशील प्राणी होने के कारण जीव और समाज के प्रति साहित्यकार का दायित्व भी सामान्य जन की अपेक्षा बढ़ जाता है
। प्रश्न- क. साहित्य और साहित्यकार एक दूसरे के अभिन्न कैसे है?
ख. सामान्य-जन एवं साहित्यकार में मुख्य अन्तर क्या है? गू साहित्यकार अपने साहित्य में किन बातों का वर्णन करता है?
म साहित्यकार का दायित्व समाज के प्रति आम लोगों से अधिक क्यों है?
इ. इस गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।​

Answers

Answered by amanmahaych69
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Answer:

1st--sahitya ka prabhav sabhi ke man mein mastishk par padta hai

2nd samanya Apne samvedna ko Vani de sakta hai parantu sahityakar nahin

3rd. sanvedanshil prani hone ke Karan inke jivan ka Bhad jata hai

4th. sahitya or sahityakar ke vibhin ang

I hope it's helpful for you

please mark me as brainlist

Answered by rollajogarao
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