साहित्य संगीत कला विहीनः , साक्षात् पशुः पुच्छ विषाण हीनः I तृणं न खादन्नपि जीवमानः ,तत् भागधेयं परमं पशूनाम् I I हिन्दी अनुवादं लिखत
Answers
Answered by
9
Answer:
साहित्य, संगीत और कला से विहीन मनुष्य साक्षात नाख़ून और सींघ रहित पशु के समान है। और ये पशुओं की खुद्किस्मती है की वो उनकी तरह घास नहीं खाता।
Similar questions