Hindi, asked by rohit1515, 5 months ago

साहित्य संगीत कला विहीनः , साक्षात् पशुः पुच्छ विषाण हीनः I तृणं न खादन्नपि जीवमानः ,तत् भागधेयं परमं पशूनाम् I I हिन्दी अनुवादं लिखत​

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Answered by jan6259
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Answer:

साहित्य, संगीत और कला से विहीन मनुष्य साक्षात नाख़ून और सींघ रहित पशु के समान है। और ये पशुओं की खुद्किस्मती है की वो उनकी तरह घास नहीं खाता।

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