साहित्य सागर workbook chapter 3 महायज्ञ का पुरस्कार answers class 9th ICSE board
Answers
‘महायज्ञ का पुरुस्कार’ (साहित्य सागर) कहानी के कुछ प्रश्नोत्तर इस प्रकार हैं...
¿ “सेठ जी ! यज्ञ खरीदने के लिए हम तैयार हैं, पर आपको अपना महायज्ञ बेचना होगा।”
वक्ता कौन है ? उसका उपर्युक्त कथन सुनकर सेठ जी को क्यों लगा कि उनका मजाक उड़ाया जा रहा है??
➲ यहाँ पर वक्ता कुंदनपुर के धन्ना सेठ की पत्नी हैं। यह कथन सेठ जी से कुंदनपुर के धन्ना सेठ की पत्नी कह रही हैं। सेठजी धन्ना सेठ की पत्नी की बात सुनकर असमंजस में पड़ गए हैं। उनको समझ नहीं आ रहा कि उन्होंने अभी तक कोई महायज्ञ तो क्या, कोई समान्य यज्ञ तक नहीं किया है। बहुत वर्षों की लंबी गरीबी के कारण उन्होंने कोई यज्ञ नहीं किया था, फिर उनकी पत्नी किस यज्ञ की बात कर रहीं हैं। उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा था कि घोर गरीबी के कारण धन्ना सेठ की पत्नी उनका मजाक उड़ा रही है।
¿ महायज्ञ का पुरस्कार कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
➲ “महायज्ञ का पुरस्कार” कहानी जिसे प्रसिद्ध कहानीकार यशपाल ने लिखा है, उस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमेशा हमें सदैव परोपकारी बने रहना चाहिए। हमारे हृदय में प्राणी मात्र के लिए प्रेम और दया की भावना सदैव बलवती रहनी चाहिए। कहानी के मुख्य पात्र सेठ जी जिस तरह स्वयं भूखे रहकर अपने लिए लाई रोटियों को भूखे कु्त्ते को खिला देते हैं और स्वयं पानी पीकर गुजारा कर लेते हैं, वह निःस्वार्थ परोपकार एक अनुकरणीय उदाहरण है। धन्ना सेठ की पत्नी ने जिस तरह सेठजी को अपने महायज्ञ के बेचने का प्रलोभन दिया लेकिन सेठ जी ने उसकी बात ना मानी और उस कार्य को अपना कर्तव्य माना। अंततः उन्हें इसका फल भी प्राप्त हुआ इसलिए हमें सेठ जी के आचरण से प्रेरणा लेते हुए सदैव भलाई एवं परोपकारी के कार्य करके अपने जीवन को सार्थक करना चाहिए। यही इस कहानी का मूल संदेश और शिक्षा है।
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