साहित्य सङ्गीत कला विहीन
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यः) साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः (अस्ति, सः) साक्षात् पुच्छविषाणहीनः पशुः (एव अस्ति)। जो साहित्य संगीत तथा कला से विहीन है वह तो साक्षात बगैर पूंछ और सिंगो वाला जानवर ही है। ... और वह है साहित्य, संगीत और कला। इन चीजों का रसपान पशु नहीं कर सकते हैं।
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