Hindi, asked by sharmakrrish, 4 months ago

साहित्यसंगीतकलाविहीनः,
साक्षात्पशुः पुच्छ विषाणहीनः।
तृणं न खादन्नपि जीवमानः,
तत् भागधेयं परमं पशूनाम्॥anuvad in hindi​

Answers

Answered by shreyasharma2009
6

Answer:

Explanation:

जो मनुष्य साहित्य, संगीत और कला से विहीन है वह साक्षात पूंछ और सींगों से रहित पशु के समान है। ये पशुओं के लिए बड़े सौभाग्य की बात है, कि वह बिना घास खाए ही जीवित रहता है |

संदेश  

ऐसा मनुष्य जिसे साहित्य, संगीत और कला में कोई रुचि नहीं है, वह मनुष्य सींग और पूंछ न होते हुए भी पशु के समान है | वह पशु के समान तो है, लेकिन वह घास नहीं खाता यह पशुओं के लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है | क्योंकि यदि वह घास खाता तो पशुओं को खाने के लिए चार की दिक्कत हो जाती |  

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