Hindi, asked by Rajavesarwal12345, 3 months ago

) साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः साक्षात् विद्वान् भवति ।
) महीरुहाः अर्थिनः विमुखं न यान्ति।
) सप्तराज्यसमूहोऽयं भगिनीसप्तकं मतम् ।
) ग्रहणे सूर्य-चन्द्र-पृथिवी इति लीणि एव कारणानि ।​

Answers

Answered by sakshiyadav314
4

Answer:

हम प्रतिदिन अपना जीवन अपनी पद्धति से व्यतीत करते हैं। परन्तु उस जीवन में कुछ सात्विक आनन्द भी तो होना चाहिए। और उस के लिए कुछ अच्छे गीत, चित्रकला, कथा, कविता इत्यादि के द्वारा हमें अपने मन को भी प्रफुल्लित करना चाहिए। 

परन्तु कुछ ऐसे भी गद्य लोग होते हैं जिनको ना तो कोई गाना सुनना पसन्द है, ना कोई चित्र उन के दिल को बहला सकता है। सिर्फ रात दिन काम काम और काम ही करते रहते हैं और बस पैसा कमाते हैं। उनके लिए तो मानो जीवन की सारी खुशियाँ पैसा जमा कर के अपनी तिजोरी की रखवाली करने में ही होती हैं। इस से अच्छा तो कही बैंक में चौकीदारी करते। बहुत खुशियाँ मिलती।

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