Hindi, asked by poojaguptasiwan9473, 6 months ago

सुहृदां हितकामानां वाक्यं यो नाभिनन्दति।
स कूर्म इव दुर्बुद्धिः काष्ठाद् भ्रष्टो विनश्यति॥​

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Answered by techabissa
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Answer:

हितकामानां सुहृदां वाक्यं न :::::::::

Explanation:

हितकामानां सुहृदां वाक्यं न अभिनन्दति

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