सोहनलाल दिवटी जी का एक कविता.
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राष्ट्रकवि सोहन लाल द्विवेदी की 1 बेहतरीन कविता
तुम्हारा प्रण उठे निखर, भले ही जाए जन बिखर, रुको नहीं, झुको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो । जिये चलो, मरे चलो, बढ़े चलो, बढ़े चलो ।
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