साहस ही जीवन है (अनुच्छेद)
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साहस इन्सान के अन्दर एक ऐसी शक्ति है जो दुनिया को बदल सकती है,जो दुनिया में हमें सबसे अलग,सबसे ख़ास बना सकती है क्योकि सहास ही शक्ति है और साहस ही जीवन है,अगर आपने अपने जीवन में साहस के साथ काम नहीं किया या फिर आपने साहस से काम नहीं लिया तोह आपके जीवन में हो सकता है ज्यादा कुछ ना बच पाए और आप जो पाना चाहे वोह ना पा सके
जो मनुष्य संकटों को सहन करना जानते हैं वही सुख का आनंद लूट सकते हैं। रेगिस्तान पार करके आने वाला दूध और प्याज से पीड़ित व्यक्ति ही छाया और पानी का आनंद पा सकता है। जो लोग सुख पाने के लिए परिश्रम करते हैं वह सुख का स्वाद अधिक पाते हैं और जिन्हें बिना परिश्रम के सुख और आराम मिल जाता है वह सुख और आराम को भी मौत समझते हैं।
जो धूप में परिश्रम करता है वही चांदनी की ठंडक का आनंद अनुभव कर सकता है क्योंकि आराम का सुख परिश्रम करने के बाद ही अनुभव किया जा सकता है। इसी प्रकार त्याग और संयम से जीने वाला व्यक्ति ही जीवन के सुख को महसूस कर सकता है केवल बनकर जीने वाला व्यक्ति इस आनंद को प्राप्त नहीं कर सकता।
संकटों में बनने वाली महान पुरुष ही संसार पर अधिकार करते हैं। जैसे अकबर का जन्म तपते रेगिस्तान में संकटों के बीच हुआ था। यही कारण है कि उसने 13 वर्ष की आयु में ही अपने पिता के शत्रु से बदला ले लिया था।
साहसी मनुष्य का जीवन ही सच्चा जीवन होता है। साहसी मनुष्य सदैव अपने उद्देश्य की अग्रसर होते हैं। वह अपने मार्ग पर अकेले ही बढ़ता चला जाता है। वह उस शेर की तरह होता है जो अकेले वितरण करता है , उन पेड़ों की तरह नहीं जो जून में विचरण करते हैं।
यदि हमारी आत्मा हमे कायर होने के लिए दिक्कत आती है तो इससे मर जाना ही अच्छा ।
शंकर जीना ही जीवन का सार है। जो व्यक्ति इस से बच कर जीना चाहता है वह वास्तविक जीवन से कोसों दूर हो जाता है। जीवन में संकटों का सामना करना एक पूंजी है। जो इस पूंजी को जिस मात्रा में लगाता है उसी मात्रा में वह उसका फल पाता है।