Hindi, asked by sweetsagarss2, 3 months ago

साहसी जीवन पर अनुच्छेद​

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Answered by MrDgp
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Answer:

https://www.mehtvta.com/sahas-hi-jeevan-hai-essay/

Explanation:

निबंध देखो link pe

Answered by mi04swechha
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Explanation:

जिंदगी से अंत में हम उतना ही पाते हैं जितना की पूंजी उसमें लगाते हैं। यह पूंजी लगाना जिंदगी के संकटों का सामना करना है। उसके उस पन्ने को उलट कर पढ़ना है जिसके सभी अक्षर फूलों से ही नहीं कुछ अंगारों लिखे गए हैं।

जिंदगी का भेद कुछ उसे ही मालूम है जो यह जानकर चलता है कि जिंदगी कभी भी खत्म ना होने वाली चीज है।

अरे ओ जिंदगी के साधकों ! अगर किनारे की भरी हुई सीपियों से ही तुम्हें संतोष हो जाए तो समुद्र के अंतराल में छुपे हुए मौक्तिक कोष को कौन बाहर लाएगा।

दुनिया में जितने मजे बिखेरे गए हैं उनमें तुम्हारा भी हिस्सा है. वह चीज भी तुम्हारी हो सकती है, जिसे तुम अपनी पहुंच के परे मानकर लौटे जा रहे हो।

कामना का आंचल छोटा मत करो। जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबा कर निचोड़ो, रस की निर्झरी तुम्हारे बहाए भी बह सकती है।

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