साहस की ज़िन्दगी सबसे बड़ी होती है। ऐसी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी
पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ होती है। जनमत
की उपेक्षा करके जीने वाला व्यक्ति दुनिया की असली ताकत होता है
और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस
को देखकर चलना, यह साधारण जीव का काम है। क्रान्ति करने वाले
लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और
न ही अपनी चाल को पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम बनाते हैं। साहसी
मनुष्य सपने उधार नहीं लेता। वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही
किताब पढ़ता है। झुण्ड में चलना और झुण्ड में चरना, यह भैंस और भेड़
का काम है। सिंह तो बिल्कुल अकेला होने पर भी मग्न रहता है। जो
आदमी यह महसूस करता है कि किसी महान निश्चय के समय वह
साहस से काम नहीं ले सका, ज़िन्दगी की चुनौती को कबूल नहीं कर
सका, वह सुखी नहीं हो सकता। बड़े मौके पर साहस नहीं दिखाने वाला
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bahut bada paragraph hai thoda short dijiye
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mark me as brainliest
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