Hindi, asked by aadityabhukar81, 1 year ago

साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।

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Answered by shishir303
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         साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है।

साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो साहस और शक्ति का महत्व अधिक बढ़ जाता है। यदि साहस और शक्ति के साथ विनम्रता है, तो साहस और शक्ति का सदुपयोग होगा। वह सकारात्मक दिशा में जाएगी। लेकिन यदि मनुष्य में साहस है, वह शक्ति से परिपूर्ण है, लेकिन उसमें विनम्रता का अभाव है तो धीरे-धीरे उसके अंदर अहंकार की प्रवृत्ति जन्म लेने लगेगी और यह अहंकार उसे निरंकुश के मार्ग पर चलने को प्रेरित करेगा, वह अपनी शक्ति का दुरुपयोग भी कर सकता है।

जो विनम्र है, वह झुकना जानता है, वह लचीला होता है। जो विनम्र नहीं है, वह कठोर होता है, उसमें अकड़ होती है। विनम्र लोग परिवर्तम रूपी हवा के साथ स्वयं को झुका लेते हैं ताकि वह लंबे समय तक कायम रहते हैं, जबकि अकड़ वाले लोग नहीं झुकते और टूट कर बिखर जाते हैं, बिल्कुल उसी तरह जैसे कठोर वृक्ष भयंकर आँधी में बिखर जाते हैं, और लचीले वृक्ष आँधी में स्वयं को झुका कर अपने अस्तित्व को बनाए रखते हैं।

उसी तरह साहस और शक्ति के साथ विनम्रता शक्ति के लंबे समय तक कायम रहने का प्रमाण है। यदि व्यक्ति विनम्र रहेगा तो वह अपनी शक्ति को सकारात्मक दिशा में सहयोग करते हुए लंबे समय तक शक्ति का आनंद ले सकता है। लेकिन यदि वह विनम्र नहीं है, तो शीघ्र ही उसकी उसका साहस कमजोर पड़ जाना है, उसकी शक्ति क्षीण हो जानी है। इसलिए साहस और शक्ति के साथ यदि विनम्रता है, तो बेहतर है।

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Answered by TheFirestorm
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आवश्यक उत्तर

यह पूर्णतया सत्य है कि साहस और शक्ति के साथ विनम्रता का मेल हो तो सोने पर सोहागा होने जैसी स्थिति हो जाती है। अन्यथा विनम्रता के अभाव में व्यक्ति उद्दंड हो जाता है। वह अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए दूसरों का अहित करने लगता है। साहस और शक्ति के साथ विनम्रता का मेल श्रीराम में है जो स्वयं को ‘दास’ शब्द से संबोधित करके प्रभावित करते हैं। वे अपनी विनम्रता के कारण परशुराम की क्रोधाग्नि को शीतल जल रूपी वचन के छीटें मारकर शांत कर देते हैं।

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