साहस और शक्ति के साथ विनम्रता का होना आवश्यक क्यों है
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प्रस्तुत पंक्ति लक्ष्मण- परशुराम संवाद से
ली गई है। साहस और शक्ति के साथ विनम्रता होना आवश्यक है । यह पूर्णता सत्य है कि साहस और शक्ति के साथ विनम्रता का मेल हो तो सोने पर सुहागा होने जैसी स्थिति हो जाती है। नहीं तो विनम्रता के अभाव में व्यक्ति उद्दंड हो जाता है। वह अपनी सास शक्ति का दुरूयोग करते हुए दूसरों का अहित करने लग जाता है। साहस और शक्ति के साथ विनम्रता
का मेल श्री राम में है जो स्वयं को दास शब्द से संबोधित करके प्रभावित करते
हैं। वे अपनी विनम्रता के कारण परशुराम की क्रोधाग्नि को शीतल जल रूपी वचन
की छीटें मारकर शांत कर देते हैं।
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