साँई सब संसार में, मतलब का व्यवहार।
जब लग पैसा गाँठ में, तब लग ताको यार।।
तब लग ताको यार, यार संग ही संग डोले।
पैसा रहे न पास, यार मुख से नहिं बोले।।
कह 'गिरिधर कविराय' जगत यहि लेखा भाई।
करत बेगरजी प्रीति, यार बिरला कोई साँई।।
(क) कवि के अनुसार इस संसार में किस प्रकार का व्यवहार प्रचलित है ?
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कवि के अनुसार जिसके पास पैसा है लोगों के लिए वही मित्र है
और यदि कोई गरीब है तो लोग उसके साथ बोलने में भी घृणा करते हैं
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