'साँई सब संसार में'- शीर्षक कुंडलिया से मिलने वाले संदेश पर प्रकाश डालिए।
This question is from the poem KUNDALIYA written by Giridhar Kaviray.
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'साँई यह संसार में'- शीर्षक कुंडलिया से मिलने वाले संदेश पर प्रकाश डालिए।
उत्तर : 'साँई यह संसार में कुंडलिया कवि गिरिधर जी द्वारा लिखी गई है | कवि ने इस कुंडलिया मे यह संदेश दिया है कि अब इस संसार में मित्रता का आधार रुपए , पैसे , धन-दौलत के आधार पर रह गई है | सब कुछ स्वार्थ के बदले पर टिका हुआ है | जिस तरह धन-दौलत समाप्त होने पर मित्रता भी समाप्त हो जाती है |
आज के समय में निःस्वार्थ प्रेम करने वाले कम ही मिलते है। बहुत कम लोग होते है जो स्वार्थ के बिना दूसरों से दोस्ती रखते है | संसार का यही नियम है कि बिना स्वार्थ के कोई किसी का सगा-संबंधी नहीं होता। कोई किसी से मतलब नहीं रखता है |
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