Science, asked by vinodkumar94183, 6 months ago

साइक्लोब्यूटेन में कार्बन के कितने
परमाणु होते हैं?​

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Answered by vishwassindhani0
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Answer:

बहुत ही उपयोगी अपररूप है। कार्बन के इस जटिल रूप में कार्बन परमाणु एक दूसरे से षटफलाकार या पंच भुजाकार रूप में जुड़ कर एक पिंजड़ा की रचना बनाते हैं।[1] इसे १९९५ में राइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर इ स्मैली तथा उनके सहकर्मियों द्वारा बनाया गया। इस खोज के लिए उन्हें वर्ष १९९६ ई. का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। फुलेरेन्य का सबसे साधारण रूप बकमिनिस्टर है। यह एक रवेदार बहुरूप है, जिसका प्रत्येक अणु ६० कार्बन परमाणुओं का गोलाकार समूह होता है। इसकी ज्यामिति अमेरिकी कलाकार आर. बकमिनिस्टर फुलर की प्रसिद्ध ज्यामिति संरचना जैसी होने के कारण इसे बकमिनिस्टर फुलेरेन्य भी कहते हैं। इसे C60 द्वारा निरूपित करते हैं। इसके अतिरिक्त C32, C50, C70, C76 आदि फुलेरेन्य छोटे-बड़े गोलाकार रचनाओं के रूप में पाएँ जाते हैं। इनमें कार्बन परमाणु एक दूसरे से स्वतंत्र कण के रूप में जुड़े रहते हैं। इसकी रचना कार्बन के अन्य बहुरूपों हीरा तथा ग्रेफाइट से भिन्न है। फुलेरेन्य रासायनिक रूप से स्थाई तथा अक्रियशील होते हैं। इनके पिंजड़ा जैसी रचना को तोड़ने के लिए बहुत उच्च तापक्रम (लगभग १००००C) की आवश्यकता पड़ती है। लगभग ११०००C से १२०००C तापमान पर जारक की उपस्थिति में जलकर कार्बन द्विजारेय बनाते हैं।

कार्बन नैनोनली का त्रिआयामी मॉडल

C60 + 60O2 = 60CO2[2]

प्रारम्भ में लेसर किरणों द्वारा ग्रेफाइट के वाष्पीकरण से फुलेरेन्य प्राप्त किया गया। इस विधि में ग्रेफाइट को निष्क्रिय गैस हीलियम या मंदाति की उपस्थिति में विद्युत आर्क में गर्म किया जाता है। जिसके फलस्वरूप कार्बन के वाष्प संघनन से फुलेरेन्य के सूक्ष्म अणु कालिख पदार्थ के रूप में उत्पन्न होते हैं। ये कार्बनिक घोलकों में घुलनशील होते हैं। वैज्ञानिक इसके गुणों का बहुत गहराई से अध्ययन कर रहे हैं। इस अद्भुत् आणुविक संरचना वाले पदार्थ के भविष्य में विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग की भारी संभावने हैं। यह कई धातुओं के साथ अशुद्ध होकर निम्न तापमान पर अतिचालक बन जाता है। कार्बन के नैनोनली वास्तव में बेलनाकार फुलेरेन्य हैं जिनेक इस्तेमाल से पेपेर बैटेरी बनाये गए हैं।[3] जिनका प्रयोग वायुयान, स्वचालित वाहनों एवं पेसमेकर में किए जाने की संभाना है। कार्बन नैनो नली व फुलेरीन केवल ग्रेफाइट से बनने के कारण इसकी कीमत भी काफी ज्यादा है, लेकिन भारतीय वैज्ञानिक इसे भारतीय कोयले से पूरी अकार्बनिक अशुद्धियों को दूर कर विकसित कर रहे हैं। इसके लिए राड कार्बोनाइजेशन पद्धति अपनाई गई है जिसके प्रारंभिक चरण के प्रयोगों में ही कई भित्तियों (मल्टीवाल्ड) वाली कार्बन नैनो नली बनाने में सफलता मिल गई है। हेट्रो फुलेरीन बनाने की दिशा में भी काम जारी है।[4

Answered by kkabhi32
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Answer:

4 परमाणु होते है

Explanation:

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