साइकिल चलाना एक सामाजिक आंदोलन है ?कुछ अजीब -सी बात है -है ना! लेकिन चौकने की बात नहीं है ।पुडुकोट्टीई ज़िले की हजारों नवसाक्षर ग्रामीण महिलाओं के लिए यह अब आम बात है ।अपने पिछड़ेपन पर लात मारने ,अपना विरोध व्यक्त करने और उन ज़ंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं , कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं। कभी-कभी ये तरीके अजीबो -गरीब होते हैं। पाठ के लेखक का नाम बताइए ?
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नारी अपने परिवार की आधारशिला होती है।वर्तमान युग।
दोहरी भूमिका निभा रही है। वह पुरुषों के साथ कंधे से की
मिलाकर चल रही है। उसने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी
पहचान बना ली है। राजनीति क्षेत्र हो, चाहे चिकित्सा क्षेत्र
प्रशासनिक क्षेत्र वह हर क्षेत्र में अपनी कार्यक्षमता का कुश
- परिचय दे रही है। आज सेना तथा पुलिस-सेना में भी महि
- कार्य कर रही हैं।हमारे देश की भूतपूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रति
- पाटिल भी महिला थी जिन्होंने प्रशासन का कार्य सफलता
- निभाया था।कहा जाता है कि हमारा लोकतंत्र यदि कहीं कमजोर है तो उसकी एक बड़ी वजह हमारे राजनैतिक दल हैं। वह प्रायः
- अव्यवस्थित और अमर्यादित हैं और अधिकांशतः निष्ठा और कर्मठता से संपन्न नहीं है। हमारी राजनीति का स्तर
- प्रत्येक दृष्टि से गिरता जा रहा है। लगता है उसमें सुयोग्य और सच्चरित्र लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। लोकतंत्र के
- मूल में लोक निष्ठा होनी चाहिए, लोकमंगल की भावना और लोकतांत्रिक आस्था डगमगाने लगती हैं।
- लोकतंत्र की सफलता के लिए हमें समर्थ और सक्षम नेतृत्व चाहिए, एक नई दृष्टि, एक नई प्रेरणा, एक नई संवेदना,
- नया आत्मविश्वास, नया संकल्प और समर्पण आवश्यक है। लोकतंत्र की सफलता के लिए हम सब अपने आप से पूछे
- कि हम देश के लिए क्या कर सकते हैं और हम सिर्फ पूछ कर ही न रह जाएं बल्कि संगठित होकर समझदारी, विवेक
- और संतुलन से लोकतंत्र को सफल और सार्थक बनाने में लग जाएं।
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toh yeh tumhari dusri id hai kya?
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