Hindi, asked by sukhmanjeetkaur37, 6 months ago

साइकिल चलाने की प्रशंसको में कौन-कौन
सी महिलाए है?​

Answers

Answered by amber1234
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Explanation:

"बिलासा” पाठस्य सारांशं शतशब्देषु हिन्दी भाषया लिखत कभी कल-कल, छल-छल,अविराम बहती थी एक नदी, नाम था – अरपा। पास से गुजरते नाव चलाने वालों के एक दल को अरपा ने मंत्रमुग्ध किया। दल के मुखिया रामा केंवट ने यहाँ डेरा जमाना तय किया, साथ थी उसकी सुन्दर, नवयौवना बेटी -‘ बिलासा ‘।

दल के पुरुषों ने अरपा माई के जल को पूजते हुए नदी में नाव उतारी, जाल डाला। अरपा ने भी उनको माँ समान प्यार दिया। अब केंवट अरपा के और अरपा केंवटों की हो गयी। धीरे-धीरे ये बस्ती किसानों, लुहारों, बुनकरों से गुलज़ार होने लगी।

एक दिन गाँव में सूअर घुस आया। पुरुषों की अनुपस्थिति में वीरांगना बिलासा ने भाले से सूअर को मार गिराया। बिलासा का विवाह गाँव के नौजवान वंशी से हुआ। वीर, कुशल वंशी भी बिलासा का साथ पाकर समृद्ध हुआ।

एक दिन शाम के समय नदी से लौट रही बिलासा की आबरू पर एक सिपाही ने हाथ डालने की कोशिश की परन्तु साहसी बिलासा सिपाही से भिड़ गई। राजा कल्याण साय को इस घटना की जानकारी हुई तो उन्होंने सिपाही को दण्ड दिया। समय बीतने के साथ राजा एक बार शिकार पर निकले और सैनिकों से दूर निकल गए। अचानक राजा पर जंगली जानवर ने हमला किया। घायल पड़े राजा को बिलासा की सेवा-सुश्रुसा ने भला-चंगा कर दिया। सेवा से प्रसन्न राजा बिलासा और वंशी को पालकी में बिठाकर राजधानी रतनपुर ले आया। रूपवान बिलासा ने तीर-कमान वहीं वीर वंशी ने भाले के करतब दिखाकर सबको मोहित कर दिया। प्रसन्न हो राजा ने बिलासा को जागीर दी और नए नगर की स्थापना कर उसे बिलासा का नाम दिया। नाम मिला – “बिलासपुर”। बिलासा ने नगर को और भी सजाया-सँवारा।

दिल्ली के बादशाह जहाँगीर ने राजा कल्याण साय को उत्सव का बुलावा भेजा। राजा अपने साथ गोपाल मल्ल, बिलासा और भैरव को ले गए। बिलासा की तलवार, गोपाल और भैरव की वीरता का डंका दिल्ली में भी बज उठा। खुश होकर बादशाह ने राजा कल्याण को ईनाम देकर विदा किया तो राजा कल्याण साय ने बिलासा को तलवार देकर। अब बिलासा केवल बिलासा न होकर बिलासा माई होकर अमर हो गयी।

नदी किनारे लगी मूर्ति आज भी बिलासा माई की कीर्ति फैलाती और अरपा की कलकल ध्वनि से सुर मिलाती गुनगुनाती है –

“मरद बरोबर लगय बिलासा, लागय देवी के अवतार,

बघवा असन रेंगना जेखर, सनन सनन चलय तलवार।”कम्प्यूटर एक जादुई पिटारा

आज का युग विज्ञान का युग है। वर्तमान समय में विज्ञान ने हमें कम्प्यूटर के रूप में एक अनमोल उपहार दिया है। आज जीवन के हर क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग हो रहा है। जो काम मनुष्य द्वारा पहले बड़ी कठिनाई के साथ किया जाता था, आज वही काम कम्प्यूटर द्वारा बड़े ही आराम से किये जा रहे हैं। कंप्यूटर का उपयोग दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है। कम्प्यूटर ने दुनिया को बहुत छोटा कर दिया है। इंटरनेट द्वारा गूगल, याहू एवं बिंग आदि वेबसाइट पर दुनियाभर की जानकारी घर बैठे ही प्राप्त की जा सकती है। इंटरनेट पर ई-मेल के द्वारा विश्व में किसी भी जगह बैठे व्यक्ति से संपर्क किया जा सकता है। इसके लिए केवल ई-मेल अकाउंट और पासवर्ड का होना आवश्यक होता है। कम्प्यूटर मनोरंजन का भी महत्वपूर्ण साधन है। इस पर अनेक खेल भी खेले जा सकते हैं। कुल मिलकर कहें तो कम्प्यूटर ने मानव जीवन को बहुत सरल बना दिया है। कम्प्यूटर सचमुच एक जादुई पिटारा है।

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