साइकॉन की aktoडर्म कोशिका का नाम बताइए
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स्वभाव और आवास : इसको सामान्यतया कलश स्पंज भी कहते है। क्योंकि इसका प्रत्येक प्राणी एक कलश के आकार का होता है।
यह समुद्रीवासी स्पंज है जो छिछले समुद्र में पत्थरों , चट्टानों आदि पर झुण्ड बनाकर चिपके हुए मिलते है। ये स्पंज प्राय: अरीय सममिति दर्शाते है। प्रत्येक प्राणी के स्वतंत्र सिरे पर एक छिद्र होता है जिसे ऑस्कुलम या अपवाही या बहिर्वाही छिद्र कहते है। यह छिद्र चारों ओर से लम्बी , सीधी , सूच्याकार और एकाक्ष कंटिकाओं से घिरा रहता है।
स्काइफा के शरीर का संगठन छिद्रों और नालों के एक जटिल तंत्र से होता है। छिद्रों और नालों के इस प्रकार बने तंत्र को सामान्यतया नाल तंत्र या एक्विफेरस तंत्र कहते है।
स्काइफा की संरचना में दो प्रकार के कोशिकीय स्तर पिनेकोडर्म और कोऐनोडर्म होते है। इन दोनों स्तरों के मध्य एक अकोशिकीय परत मीसेन्कोइम होती है। इसके नाल तंत्र में प्राय: निम्नलिखित अवयव पाए जाते है –
1. ऑस्टिया या चर्मीय छिद्र : शरीर की बाहरी सतह पर छिद्र पाए जाते है जिनसे बाहर का जल स्पंज के शरीर के अन्दर प्रवेश करता है। इन छिद्रों को आस्टिया या चर्मीय छिद्र कहते है।
2. अंतर्वाही नालें : ये नाले शरीर भित्ति के अन्तर्वलित होने से बनती है। ये आस्टिया के द्वारा बाहर खुलती है परन्तु अन्दर की तरफ ये बंद रहती है। इन नालों का अस्तर पिनेकोसाइट्स का बना होता है।
3. आगामी द्वार : अन्तर्वाही नालें अरीय नालों में अंतर्कोशिकीय अवकाशों द्वारा खुलती है जिन्हें आगामी द्वार कहते है।
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