साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग धारि
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत हैं।
भूषन भनत नाद बिहद नगारन के
नदी नाद मद गैबरन के रलत हैं।।iska arth bataiye or ras avyav bhi..... no spamming otherwise the answer will be reported
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अपनी चतुरंगिनी सेना को वीर रस मे सजाकर अर्थात उत्साह से परिपूर्ण कर शिवाजी महाराज युद्ध जीतने के लिये निकाल पड़े हैं। भूषण कवि कहते हैं की सेना के आगे-आगे अवशाल नगाड़ों को बजाया जा रहा है और युवा मतवाले हाथियों के कान से बनने वाले मद का परिणाम इतना अधिक है कि रास्ते के तमाम नदी-नाले मद से भर गाये हैं। हाथियों का काया इतनी विशाल है और उनकी संख्या भी इतनी अधिक है कि रास्ते संकरे से लगने लगे हैं। मतवाले हाथियों के चलने से और उनका धक्का लगने से, रास्ते के दोनों ओर जो पहाड़ खड़े हैं, वे उखड कर गिर रहे हैं। शिवाजी महाराज की विशाल सेना के चलने से इतनी धूल उड़ रही है कि आकाश पर पर्त ही छा गयी है। इस कारण से आसमान पर दमकता हुआ सूरज भी एक टिमटिमाते हुए तारे सा दिखने लगा है। सेना के बोझ के कारण पूरा संसार ऐसे डोल रहा है जैसे किसी विशाल थाली में रखा हुआ पारद पदार्थ इधर से उधर डोलता रहता है।
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