(१) संजाल पूर्ण कीजिए:
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प्रस्तुत काव्य में रसिक शिरोमणि श्रीकृष्ण की अनन्य उपासिका मीराबाई अपना प्रेम भजन द्वारा प्रगट कर रही है । अपने इस पद में उन्होंने फागुन मास में होली खेलने के आनंद का आध्यात्मिक वर्णन किया है । मीराबाई ने होली के समय आनंद निर्मित करने वाले मुख्य घटक निम्नलिखित रूप से दर्शाये हैं । प्रथम घटक वादन है इसके अंतर्गत बिना करताल और पखावज के अनहद नाद सुनाई दे रहा है |
दूसरा घटक गायन है जो बिना सुर के छत्तीस प्रकार के राग द्वारा रोम रोम में रम गया है । तीसरे घटक के रूप में शील-संतोष रूपी केसर के द्वारा प्रेम-प्रीति रूपी पिचकारी द्वारा साधक के तन मन में जिस श्रद्धा- भक्ति रूपी अपार प्रेम रंग की वर्षा हो रही है, उसका वर्णन किया है । अंततः प्रेम के चरमोत्कर्ष पर चतुर्थ घटक के रूप में मिलन हेतु चरण की शरण में लोकलाजरहित होकर चले जाना है अर्थात शरीर रुपी घटका मायारूपीआवरण हटाकर आत्मा और परमात्मा का मिलन करवाना है। वस्तुत: प्रतीकात्मक माध्यम से देखे तो साधक के समस्त भौतिक बंधन कट गए हैं और उपासना सफल हो जाने के कारण उसे साध्य (इष्ट) की प्राप्ति हो गई हैं ।
Answer:
कौआ का answer
Explanation:
कौआ का answer