संज्ञा आश्रित उपवाक्य से पहले प्रायः किस योजक का प्रयोग होता है1. क्योकि2. किसका3. कि4. का
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Explanation:
Hindi Grammar
CBSE 10th Hindi Course A & B
Hindi Grammar G.K
Hindi Grammar Objective
Upvaky (Clause) उपवाक्य
उपवाक्य (Clause) की परिभाषा
ऐसा पदसमूह, जिसका अपना अर्थ हो, जो एक वाक्य का भाग हो और जिसमें उदेश्य और विधेय हों, उपवाक्य कहलाता हैं।
सरल शब्दों में- जिन क्रिययुक्त पदों से आंशिक भाव व्यक्त होता है, उन्हें उपवाक्य कहते है।
उपवाक्य किसी वाक्य का अंश होता है। इसमें कर्त्ता और क्रिया का होना आवश्यक है।
जैसे- मंजू स्कूल नहीं गयी; क्योंकि पानी बरस रहा था।
मैं नहीं जानता कि वह कहाँ रहता है।
यह वही घड़ी है जिसे मैंने कलकत्ते में खरीदी थी।
ऊपर के वाक्यों में 'क्योंकि पानी बरस रहा था', 'कि वह कहाँ रहता है' और 'जिसे मैंने कलकत्ते में खरीदी थी' - उपवाक्य हैं।
उपवाक्यों के आरम्भ में अधिकतर कि, जिससे ताकि, जो, जितना, ज्यों-त्यों, चूँकि, क्योंकि, यदि, यद्यपि, जब, जहाँ इत्यादि होते हैं।
उपवाक्य के प्रकार
उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
(1) संज्ञा उपवाक्य (Noun Clause)
(2) विशेषण उपवाक्य (Adjective Clause)
(3) क्रिया-विशेषण उपवाक्य (Adverb Clause)
(1) संज्ञा उपवाक्य(Noun Clause)- वह उपवाक्य जो प्रधान या मुख्य (Principal) उपवाक्य की संज्ञा या कारक के रूप में सहायता करे, उसे संज्ञा उपवाक्य कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- जो गौण उपवाक्य प्रधान उपवाक्य का उद्देश्य (कर्ता), कर्म या पूरक बनकर संज्ञा अथवा सर्वनाम के स्थान पर प्रयुक्त हो, वह संज्ञा उपवाक्य कहलाता है।
यह कर्म (सकर्मक क्रिया) या पूरक (अकर्मक क्रिया) का काम करता है, जैसा संज्ञा करती है। 'संज्ञा-उपवाक्य' की पहचान यह है कि इस उपवाक्य के पूर्व 'कि' होता है।
जैसे- 'राम ने कहा कि मैं पढूँगा'
यहाँ 'मैं पढूँगा' संज्ञा-उपवाक्य है।
'मैं नहीं जानता कि वह कहाँ है-
इस वाक्य में 'वह कहाँ है' संज्ञा-उपवाक्य है।
संज्ञा उपवाक्य संज्ञा का कार्य करते हैं। अर्थात-
(i) किसी क्रिया का कर्त्ता- 'गाँधीजी सच्चे अहिंसावादी थे' अक्षरश: सत्य है।
(क) (यह) अक्षरश: सत्य है- प्रधान उपवाक्य
(ख) (कि) गाँधीजी सच्चे अहिंसावादी थे- संज्ञा उपवाक्य 'है' क्रिया का कर्त्ता है।
(ii) किसी क्रिया का कर्म- मैं जनता हूँ कि तुम आलसी हो।
(क) मैं जनता हूँ- प्रधान उपवाक्य।
(ख) कि तुम आलसी हो- संज्ञा उपवाक्य; 'जानता हूँ' क्रिया का कर्म है।
(iii) किसी अपूर्ण क्रिया का पूरक- 'विद्वानों का मत है कि सत्य की सदैव विजय होती है।'
(क) विद्वानों का मत है- प्रधान उपवाक्य
(ख) कि सत्य की सदैव विजय होती है- संज्ञा उपवाक्य 'है' क्रिया का पूरक है।
(iv) किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम का समान कारक (Case in apposition)- ''यह कथन कि धीर भी आपत्ति में धर्म से विचलित हो जाते हैं, विश्वसनीय नहीं है।''
(क) यह कथन विश्वसनीय नहीं है- प्रधान उपवाक्य
(ख) कि धीर भी आपत्ति में धर्म से विचलित हो जाते है- संज्ञा उपवाक्य कथन का समान 'कारक' (Case or Noun in apposition) है।