संज्ञा क्या होता है ?
सही उत्तर आवश्यक है।
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जिस शब्द से किसी व्यक्ति , वस्तु , स्थान , गुण , भाव , अवस्था आदि के नाम का बोध होता है उसे संज्ञा कहते है।
✫ संज्ञाओं के पाँच भेद होते है।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- जातिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
- द्रव्यवाचक संज्ञा
- समूहवाचक संज्ञा
☯︎ व्यक्तिवाचक संज्ञा
किसी विशेष प्राणी , स्थान , वस्तु के नाम को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे - मुंबई , गंगा , इंडिया , आदि।
☯︎ जातिवाचक संज्ञा
किसी प्राणी , स्थान या वस्तु की पूरी जाती का बोध कराते है उन्हे जातिवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे - जगह , बच्चा , लड़का , आदि।
☯︎ भाववाचक संज्ञा
किसी भाव , गुण , अवस्था या दशा का बोध कराने वाले सब्द को भाववाचक संज्ञा कहते है।
जैसे - आनंद , हर्ष , दु:ख , साहस , आदि।
☯︎ द्रव्यवाचक संज्ञा
किसी धातू , द्रव्य या पदार्थ के नाम को द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है ।
जैसे - चावल ,दूध , सोना , आदि।
☯︎ समूहवाचक संज्ञा
किसी समूह या समूदाय का बोध कराने वाले सब्ध को समूहवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे - कक्षा , भीड , आदि।
जिस शब्द के द्वारा किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान अथवा भाव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते हैं; जैसे-आयुष, नेहा, गाजियाबाद, पुस्तक, बुढ़ापा, ईमानदारी, गरमी इत्यादि।
संज्ञा के तीन भेद होते हैं
व्यक्तिवाचक
जातिवाचक
भाववाचक
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा – जिन शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु के नाम का पता चले, वे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे-जवाहर लाल नेहरू, अमिताभ बच्चन, नरेंद्र मोदी, बाइबिल, कुरान, रामायण, महाभारत, रूस, अमेरिका, दिल्ली, पंजाब आदि शब्द विशेष व्यक्ति, वस्तु और स्थान की ओर संकेत कर रहे हैं। इसलिए ये व्यक्तिवाचक संज्ञा कहलाते हैं।
2. जातिवाचक संज्ञा – जो शब्द किसी प्राणी, वस्तु या स्थान की पूरी जाति का बोध कराते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे-चिड़िया, पुस्तक, पहाड़, अध्यापक, फूल, आदि।
अन्य उदाहरण – शेर, चीता, हाथी, तोता, कोयल, मोर, घोड़ा, नदी, सागर, पुस्तक, मेज, आदि।
3. भाववाचक संज्ञा – वे संज्ञा शब्द जिनसे प्राणी या वस्तु के गुण, दोष, अवस्था, दशा आदि का ज्ञान होता है, वे भाववाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे-मिठास, बुढ़ापा, थकान, गरीबी, हँसी, साहस, वीरता आदि शब्द भाव, गुण, अवस्था तथा क्रिया के व्यापार का बोध करा रहे हैं। इसलिए ये भाववाचक संज्ञाएँ हैं।
इन्हें जानें।
भाववाचक संज्ञाएँ सामान्यतः महसूस की जाती हैं और अगणनीय (जिन्हें गिना न जा सके) होती हैं। इनका प्रयोग सदैव एकवचन में होता है।
जातिवाचक संज्ञाएँ गणनीय होती हैं। कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रूप में किया जाता है। जैसे-हमारे देश में रावणों की कमी नहीं है।
हिंदी भाषा में अंग्रेजी के प्रभाव में संज्ञा के दो और भेद स्वीकृत कर लिए गए हैं। ये हैं-
द्रव्यवाचक संज्ञा, समूहवाचक संज्ञा
4. द्रव्यवाचक संज्ञा – जो संज्ञा शब्द किसी धातु, द्रव्य, पदार्थ आदि का बोध कराते हैं, वे द्रव्यवाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे-सोना, लोहा, घी, तेल, दूध, चाँदी, आटा, चीनी, चावल, आदि।
5. समूहवाचक संज्ञा – जिन संज्ञा शब्दों से एक ही जाति के व्यक्तियों या वस्तुओं के समूह का बोध होता है, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-सेना, परिवार, दल, संघ, समूह, गुच्छा आदि शब्द एक ही जाति अथवा वस्तु के समूह का बोध कराते