स: जीवति गुणा: यस्य, यस्य धर्मः सः जीवति।
गुण-धर्म विहीनस्य जीवितं निष्प्रयोजनम्।।६।। translate in hindi
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भावार्थ -
उसी व्यक्ति का जीवन ही सार्थक है जो गुणवान
हो या धर्म के नियमों का पालन करता हो | गुणों और धर्म
से विहीन व्यक्ति के जीवित रहने का कोई उद्देश्य नहीं होता
है (और वह् समाज के लिये वह भार स्वरूप ही रहता है ) |
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