सृजन है अधूरा अगर विश्वभर में
मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी
कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,
कि जब तक लहू के लिए भूमि प्यास
चलेगा सदा नाश का खेल यूँ ही
भले ही दीवाली यहाँ रोज़ आए।
जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए। ANS
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be kind to everyone and will not this the world changing a positive manner
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सृजन है अधूरा अगर विश्वभर में
मनुजता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी
कहीं भी किसी द्वार पर है उदासी,
कि जब तक लहू के लिए भूमि प्यास
चलेगा सदा नाश का खेल यूँ ही
भले ही दीवाली यहाँ रोज़ आए।
जलाओ दीये पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए। ANS
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