सांझ की आंखों में करोड़ा क्यों भर आती है
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शनिवार सायं साढ़े पांच बजे बाद शहर के हर कोने से एक ही आवाज आई हिरण्या कृष्णा गोविंदा प्रहलाद भजे...। मौका था नृसिंह जयंती पर भगवान नृसिंह और हिरण्यकश्यप के बीच हुए मलयुद्ध का। नृसिंह चतुर्दशी के मौके पर शहर में सात जगहों पर मेले भरे। शहर के नृसिंह मंदिरों के आगे भरे मेले के लिए सुबह से ही तैयारियां शुरू हो गई। शहर में लखोटिया चौक, डागा मोहल्ला, दम्माणी मोहल्ला, लालाणी व्यासों का चौक, नत्थूसर गेट, गोगागेट और दुजारियों की गली में मेले भरे। लखोटिया चौक में दोपहर बाद हिरण्याकश्यप गलियों में घूमने लगा।
वहीं सायं को मेला शुरू होने से पहले यहां हिरण्याकश्यप की पूजा कर मेले की शुरुआत हुई। यहां पर नृसिंह का रूप भैरव चूरा, प्रहलाद के रूप में नरेश कलवाणी और हिरण्याकश्यप की भूमिका पीयूष पुरोहित ने निभाई। यहां नृसिंह भगवान और हिरण्याकश्यप की पूजा योगेश श्रीमाली ने की। वहीं नत्थूसर गेट पर गोविंद पुरोहित ने भगवान नृसिंह, महेश पुरोहित ने हिरण्याकश्यप और निशांत पुरोहित ने प्रहलाद का रूप धरा। वहीं गोगागेट में जगदीश तिवाड़ी ने हिरण्यकश्यप व निखिल कुमार ने नृसिंह और उदयवीर ने प्रहलाद का रूप धरा। यहां पर 51 किलो दूध से बने पंचामृत का वितरण किया गया। पब्लिक पार्क के नृसिंह मंदिर में नृसिंह कथा का वाचन किया गया। यहां पुजारी ओमप्रकाश स्वामी ने कथा का वाचन किया।
नत्थूसर गेट पर नृसिंह और हरिण्कश्यप के बीच युद्ध की झांकी।
गोगागेट गायत्री मंदिर में नृसिंह उत्सव का दृश्य। सीताराम गेट के और गौरीशंकर महादेव मंदिर के आगे युद्ध की झांकी।
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