Accountancy, asked by kharearchana448, 3 months ago

साझेदारी की कोई दो विशेषताएं बताइए?​

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Answered by Anonymous
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लाभ – प्रयोजन एवं विभाजन – साझेदारी का मुख्य उद्देश्य व्यवसाय द्वारा लाभ कमाना तथा उसका आपस में वितरण करना है । आपस में लाभ का वितरण करना भी साझेदारी की एक विशेषता है । यदि कोई व्यक्ति साझेदारी के कार्यों में भाग लेता है , परन्तु लाभ का हिस्सा पाने वाले सभी साझेदार ही होते हैं । प्रोत्साहन के लिए फर्म के कर्मचारियों को लाभ का कुछ हिस्सा दिया जा सकता है । इससे वे फर्म के साझेदार नहीं कहला सकते हैं।सामान्य प्रबन्ध – साझेदारी फर्म का प्रबन्य तो सभी साझेदार कर सकते हैं या सबों की ओर से कोई एक साझेदार कर सकता है । इस प्रकार प्रत्येक साझेदार फर्म के दिन प्रतिदिन के कार्यों के प्रबन्ध में सक्रिय भाग ले सकता है । प्रबन्ध में भाग लेने के इस अधिकार से किसी साझेदार को विशिष्ट समझौते द्वारा वंचित नहीं किया जा सकता । व्यवहार में सुविधा की दृष्टि से किसी एक विशेष साझेदार को ही प्रबन्ध का सारा भार सौंपा जा सकता है । इस विशेष साझेदार को तब प्रबन्धक साझेदार कहा जाता है ।पारस्परिक एजेंसी प्रबन्ध में भाग लेने का अधिकार सभी साझेदारों को प्राप्त होने से साझेदारी की एक और विशेषता साझेदारों के बीच पारस्परिक एजेंसी की स्थापना है । साझेदारी व्यापार से सम्बन्धित कार्यों के लिए प्रत्येक साझेदार एक दूसरे ही का उत्तरदायी बना सकता है । प्रत्येक साझेदार एक दूसरे का अभिकर्ता ( एजेंट ) होता है।असीमित दायित्व एकाकी व्यवसाय की तरह साझेदारी व्यवसाय के सदस्यों का दायित्व भी असीमित होता है । व्यवसाय के ऋणों के लिए साझेदार व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों ही रूपों से उत्तरदायी होते हैं । यदि फर्म को सम्पत्तियाँ ऋणों का भुगतान करने के लिए पर्याप्त न हों , तो साझेदारी को अपने – अपने हिस्से के अनुसार अपनी निजी सम्पत्तियों से भी ऋण चुकाना पड़ता है ।

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