साझेदारी के विभिन्न प्रकारों में व्यावसायिक स्वामित्व तुलनात्मक रूप से लोकप्रिय क्यों नहीं हैं? इसके गुणों एवं सीमाओं की समझाइए।
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Answer with Explanation:
साझेदारी के विभिन्न प्रकारों में व्यावसायिक स्वामित्व तुलनात्मक रूप से लोकप्रिय नहीं हैं। इसका मुख्य कारण साझेदारी संस्थाओं से अनेक लाभों का प्राप्त होना है।
साझेदारी के गुण :
सुगम स्थापना :
एकाकी व्यापार की तरह साझेदारी की स्थापना भी सुगमता से की जा सकती है। साझेदारी की स्थापना में कोई विशेष वैधानिक कार्यवाही पूर्ण नहीं करनी पड़ती।
अधिक वित्तीय साधन :
साझेदारी में दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर पूंजी लगाते हैं , अतः एकाकी व्यापार की तुलना में इसमें अधिक पूंजी एकत्रित हो जाती है।
ऋण प्राप्ति की सुविधा :
साझेदारों का दायित्व सीमित होने के कारण उनको एकाकी व्यापार की अपेक्षा साख अधिक होने के कारण ऋण प्राप्त करने में सुविधा रहती है।
लोचपूर्ण :
साझेदारी रेपिसाई में लोच की मात्रा अधिक पाई जाती है क्योंकि इसमें साझेदारों की संख्या में कमी यह वृद्धि करना सरल होता है।
श्रेष्ठ जन संपर्क :
साझेदारी व्यवसाय में साझेदार स्वयं व्यवस्था का संचालन करते हैं; अतः ग्राहकों, कर्मचारियों एवं अन्य पक्षों के साथ उनके श्रेष्ठ संपर्क स्थापित हो जाते हैं जिसका फर्म को लाभ मिलता है।
पंजीयन की अनिवार्यता न होना :
साझेदारी अधिनियम के अनुसार फर्मों का पंजीकरण कराना वांछनीय अवश्य है, किंतु अनिवार्य नहीं है । अतः फॉर्म का पंजीकरण कराना या न कराना साझेदारों की इच्छा पर निर्भर करता है।
कुशलता में वृद्धि :
साझेदारी में प्रत्येक साझेदार वही कार्य करता है, जिसमें वह निपुण होता है । कार्य की विशिष्टतीकरण से भी साझेदारों की कुशलता बढ़ती है।
साझेदारी की सीमाएं (हानियां)
असीमित उत्तरदायित्व :
साझेदारी में समस्त साझेदारों का दायित्व असीमित होता है । फलस्वरुप साझेदारी के ऋणों के भुगतान के लिए साझेदारों की व्यक्तिगत संपत्ति प्रयोग लाई जा सकती है।
शीघ्र निर्णय का अभाव :
किसी भी निर्णय के लिए साझेदारों की सहमति आवश्यक होती है ; अतः निर्णय लेने के अभाव में अनावश्यक रूप से देरी हो जाती है।
दोषपूर्ण प्रबंध :
साझेदारी का प्रबंध सभी साझेदारों द्वारा किया जाता है , फलस्वरूप सभी साझेदार अपनी अपनी मनमानी करने का प्रयास करते है । इससे व्यवसाय के प्रबंध एवं संचालन में शिथिलता आ जाती है ; क्योंकि एकाकी व्यवसाय की भांति संपूर्ण प्रबंधकीय क्रियाएं एक ही व्यक्ति द्वारा नहीं की जाती।
सीमित साधन :
बड़े आकार वाले व्यवसाय की साझेदारी में वित्तीय साधन सीमित होते हैं । इस प्रकार साझेदारों की अधिकतम संख्या पर प्रतिबंध होने से उनकी संख्या में वृद्धि करना संभव नहीं होता।
हित हस्तांतरण में कठिनाई :
साझेदारी में कोई भी साझेदार बिना अन्य सभी साझेदारों की सहमति के अपने हित का हस्तांतरण नहीं कर सकता है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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Explanation:
एकल स्वामित्व व्यवसाय स्वरूप की निम्नलिखित विशेषताएं हैं -
स्थापना में सरल : एक आदर्श संगठन की स्थापना में सरलता होनी चाहिए। सरल स्थापना का अभिप्राय है कानूनी तथा अन्य औपचारिकताओं का न्यूनतम होना। एकल स्वामित्व की स्थापना सरल है।
एकल स्वामित्व : एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय का स्वामी एक ही व्यक्ति होता है। यह व्यक्ति ही व्यवसाय से सम्बन्धित सभी संपत्तियों का स्वामी होता है और यही सारे जोखिम उठाता है। इसलिए एकल स्वामित्व व्यवसाय स्वामी की मृत्यु के साथ या स्वामी की इच्छा से समाप्त हो जाता है।
लाभ-हानि में भागीदार नहीं : एकल स्वामित्व व्यवसाय से प्राप्त संपूर्ण लाभ स्वामी का होता है। यदि हानि हो जाए, तो उसका भार भी स्वामी को ही उठाना होता है। एकल स्वामित्व में हुए हानि-लाभ में स्वामी का कोई और भागीदार नहीं होता।
एक व्यक्ति की पूँजी : एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय में एक ही व्यक्ति पूँजी जुटाता है। वह इसके लिए अपने पास से पैसे जमा करता है या पिफर मित्रों और संबंधियों से ऋण लेता है। आवश्यकता पड़ने पर वह बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से भी ऋण ले सकता है।
एक व्यक्ति का नियंत्रण : एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय का नियंत्राण सदैव स्वामी के हाथों में होता है। वही व्यापार के संचालन से सम्बन्धित सारे फैसले लेता है।
असीमित देनदारी : एकल स्वामित्व वाले व्यवसाय के स्वामी की देनदारी असीमित होती है। इसका अर्थ यह है कि हानि की स्थिति में व्यवसाय की देनदारियां चुकाने के लिए व्यवसाय की संपदा या उसकी निजी संपत्ति बेचनी पड़ सकती है।