साझेदारी संलेख का अर्थ एवं उद्देश्य को समझाइए 12 वी
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साझेदारी संलेख...
साझेदारी संलेख से तात्पर्य किसी साझेदारी वाले व्यवसाय में साझेदारी समझौते से होता है क्यों किसी व्यवसाय के संचालन के लिए सभी पक्षों के अधिकारों को और कार्यात्मकताओं को पूर्ण विस्तार से रेखांकित करता है। ये समझौता व्यवसाय में भागीदारों का का मार्गदर्शन करने के लिये किया जाता है।
साझेदारी संलेखन के उद्देश्य...
जैसा कि जानते हैं कि साझेदारी उन लोगों का एक स्वैच्छिक संगठन होता है, जो किसी सामान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संगठित होते हैं और आपस में साझेदारी करते हैं। इस साझेदारी को लंबे समय तक बिना किसी भी विवाद के कायम रखने के लिए आवश्यक शर्तों एवं साझेदारी संबंधित सभी पहलुओं को स्पष्ट करना आवश्यक होता है।
साझेदारी संलेख का उद्देश्य भी यही होता है कि साझेदारी से संबंधित सभी पहलुओं पहले से स्पष्ट कर लिया जाए और उन को लेकर आपस में एक समझौता बनाया जाए ताकि साझीदारों में किसी तरह की गलतफहमी और मनमुटाव या वाद-विवाद ना पैदा हो।
यह साझेदारी समझौता यानि साझेदारी संलेख मौखिक हो सकता है अथवा लिखित हो सकता है। अक्सर लिखित समझौते को ही प्राथमिकता दी जाती है। लिखित समझौते में साझेदारी को संचालित करने के लिए आवश्यक शर्तें एवं परिस्थितियों का उल्लेख किया जाता है। यही लिखित समझौता साझेदारी संलेख कहलाता है। इस साझेदारी संलेख में जो पहलू शामिल किए जाते हैं, वह इस प्रकार हैं। जैसे...
- साझेदारी वाली फर्म का नाम।
- साझेदारी वाले व्यवसाय का स्थान।
- साझेदारी वाले व्यवसाय की प्रकृति।
- साझेदारी व्यवसाय के संचालन की अवधि।
- साझेदारी में प्रत्येक साझेदार द्वारा किया गया निवेश।
- साझेदारों के बीच लाभ एवं हानि का बंटवारा।
- साझेदारों के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व।
- साझेदारों के बीच उत्पन्न विवादों के समाधान की पद्धति।
- साझेदारों के प्रवेश, अवकाश ग्रहण और हटाए जाने संबंधी शर्तें।
- साझेदारों का वेतन एवं अन्य आहरण।
- साझेदारी फर्म के समापन की प्रक्रिया आदि को तैयार करना।
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Answer:
Explanation:
Sajhedari ka Arth samjhaie