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पतनोन्मुख हो जाता है।
अनुशासन मानव-जीवन का आवश्यक अंग है। मनुष्य को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में चाहे वह खेल का मैदान हो अथवा विद्यालय,घर
हो अथवा घर से बाहर कोई सभा-सोसाइटी: सभी जगह अनुशासन के नियमों का पालन करना पड़ता है। पूर्ण निष्ठा के साथ उन पर
आचरण करना पड़ता है और जीवन के विभिन्न क्रियाकलापों को उनके अनुकूल ढालना पड़ता है। इसी में उसकी सफलता होती है।
जिस जाति, संस्था, समाज या राष्ट्र के सदस्य अनुशासित जीवन के नियमों का पालन नहीं करते, वह जाति या समाज शीघ्र ही
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यह सारांश सत्य है
परंतु आपका साल किया है
परंतु आपका साल किया है
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prtyuks gdyans ka koi Upryukt Sirsk Likhiye
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