सिक्किम की यात्रा का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र
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सिक्किम का इतिहास उस समय में ले जाता है जब लेप्चा इस राज्य के मूल निवासी हुआ करते थे। यह बताया जाता है कि 9 वीं शताब्दी में बौद्ध संत गुरु रिनपोछे देश से गुजरे थे और उन्होंने बौद्ध धर्म को इस राज्य में पेश किया था। लेकिन यहां बौद्ध धर्म ने अपने विशिष्ट सिक्किमी रूप चार शताब्दियों बाद लिया जब तीन तिब्बती भिक्षु, सुधारवादी गेलुकप के उदय से असंतुष्ट होकर पश्चिमी-सिक्किम में योकसुम चले गए थे। सदियों तक यह क्षेत्र नेपाली और ब्रिटिश से हारता रहा था। 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के बाद सिक्किम एक स्वतंत्र देश बना रहा। आजादी के 28 साल बाद 26 अप्रैल 1975 में सिक्किम को भारत का 22 वां राज्य बना दिया गया।
सिक्किम भारत का एक ऐसा राज्य है जिसका पारंपरिक पोशाक उपन्यास भारत के दूसरे राज्यों से बिलकुल अलग है। बता दें कि सिक्किम में लेप्चा, भूटिया और नेपाली तीन समुदाय हैं, जिनमे से सभी का पहनावा अलग-अलग तरह का है। लेप्चा समुदाय की महिलाओं के लिए पारंपरिक पोशाक डुमवम, टैगो(एक ढीला ब्लाउज), न्याम्रेक या बेल्ट और तारो है। लेप्चा महिलाएं नामचोक, लयक, ग्यार जैसे पारंपरिक आभूषणों से खुद को सजाती हैं।
भूटिया समुदाय की महिलाएं खो या बाखू, हंजु, रेशमी कपड़े, कुशन, शंबो और शबचू एक पूरी आस्तीन का ब्लाउज पहनती हैं। सोना इस समुदाय के लिए बहुत खास होता है। और आभूषण के अधिकांश सामान शुद्ध सोने से बने होते हैं।
अगर नेपाली महिलाओं की बात करें, तो वे फरिया पहनना पसंद करती हैं, और चौबंदी चोलो (ढीले ब्लाउज )के साथ साड़ी पहनती हैं। थारो चोलो इस समुदाय की महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले एक तरह का ब्लाउज है। लेप्चा पुरुषों की पारंपरिक वेशभूषा को थोको-दम कहते हैं जिसमें एक सफेद पजामा, येंथेट और शंबो शामिल हैं। भूटिया की पारंपरिक पोशाक एक खो या बाखू है। भूटिया समुदाय के पुरुष जया जया, येन्हत्से, केरा और शंबो भी पहनते हैं। सिक्किम के नेपाली पुरुष संस्कृति और परंपरा का पालन करते हैं। वे शौरवल, दउरा, आसकोट और पटुक पहनते हैं।
सिक्किम एक ऐसा राज्य है जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता और अनोखी संस्कृति के दृश्यों के साथ आपको विभिन्न प्रकार के रोमांचकारी एडवेंचर भी प्रदान करता है। यह पर्यटन स्थल ट्रेक प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है और यहां का गोइचला ट्रेक सबसे अच्छा है। अगर आप इस ट्रैक की यात्रा करते हैं तो इसमें आपको घने जंगलों और सुरम्य घास के मैदानों के माध्यम से होकर चलना होता। यहां की तीस्ता नदी में रिवर राफ्टिंग एक और साहसिक गतिविधि है जो निश्चित रूप से आपकी यात्रा को यादगार बना देगी।
त्सोंगमो झील के पास याक की सवारी करना आपको उत्साह से भर देगा। यह याक ऊनी कपड़ों से ढंके होते हैं और उनके गले में घंटियाँ और तार लटकाए जाते हैं। बता दें कि सिक्किम में गंगटोक से रंगपो तक का बाइकिंग मार्ग शायद सबसे सबसे लंबा पर्वतीय बाइकिंग मार्ग है। इस मार्ग से यात्रा करने वाले लोग यहां की हरियाली के साथ सुंदर परिदृश्य को ऊंचे पहाड़ों से देख सकते हैं। गंगटोक में केबल कार की सवारी को आपको अपनी लिस्ट में जरुर शामिल करना चाहिए क्योंकि यह आपको शहर की उंचाई से शानदार दृश्यों को देखने का अवसर देता है।
भारत का खूबसूरत राज्य सिक्किम पूर्वी हिमालय में स्थित है जो पूर्व में भूटान, पश्चिम में नेपाल, उत्तर में तिब्बत और दक्षिण में पश्चिम बंगाल से अपनी सीमाओं को साझा करता है। विश्व की तीसरी सबसे उंचीचोटी कंचनजंगा नेपाल-सिक्किम सीमा पर स्थित है। तीस्ता सिक्किम की सबसे बड़ी नहीं है और रंगीत भी यहां की एक प्रमुख नदी है। सिक्किम की पूर्व, पश्चिमी और उत्तरी सीमाएं हिमालय के पर्वतों से घिरी हुई हैं। अगर आप सिक्किम सर्दियों के मौसम में जाते हैं तो यहां पर बर्फ से ढके पहाड़ों देख पाएंगे। गर्मियों के मौसम में यात्रा करने वाले लोग यहाँ की हरियाली और प्राकृतिक दृश्यों का आनंद भी ले सकते हैं। सिक्किम में हॉट स्प्रिंग्स भी हैं जो अपने औषधीय मूल्यों के लिए जानी जाती है।
सिक्किम भारत का एक ऐसा राज्य है जहां के लोग यहां के स्थानीय त्योहारों को बहुत ही उल्लास और धूम-धाम के साथ मनाते हैं। आइये आपको सिक्किम के कुछ खास त्योहारों के बारे में जानकारी देते हैं।
लॉसंग फेस्टिवल सिक्किम का एक प्रमुख त्यौहार है जो फसल के अंत में और साल के दसवें महीने के अंत में तिब्बती कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान लोग अच्छी फसल और आने वाले साल में अच्छी संभावनाओं के लिए प्रार्थना करते हैं।
ल्हाब ढेचेन फेस्टिवल भगवान बुद्ध की स्वर्गवासी माता की शिक्षा के बारे उनके वंश का प्रतिनिधित्व करता है। बौद्ध धर्म के लोग सिक्किम में इस उत्सव को बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।
डांस फेस्टिवल सिक्किम में खास उत्सवों में से एक हैं जिसको दिसंबर के महीने में मनाया जाता है। इस उत्सव के दौरान भिक्षुओं द्वारा किया गया नृत्य बुरी ताकतों के विनाश को चित्रित करता है। इस उत्सव के दौरान वे सिक्किम में शांति और समृद्धि की कामना भी करते हैं।
पंग ल्हबसोल सिक्किम का एक बहुत ही लोकप्रिय त्यौहार है जिसको भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मानते हैं। इस त्यौहार पर लोग भगवान से देश और सिक्किम के लिए प्रार्थना करते हैं।
सिक्किम की यात्रा का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।
प्रिय मित्र राहुल
कैसे हो
तुम जानते हो कि पिछले दिनों विद्यालय की शीतावकाश छुट्टियों के दौरान मैं अपने परिवार के साथ सिक्किम की यात्रा पर गया था । सिक्किम हमारे भारत का एक पूर्वोत्तर राज्य पर्वतीय राज्य है । यह पर्वतीय राज्य प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर राज्य है। सिक्किम की यात्रा करके मुझे बहुत मजा आया । सबसे पहले हम लोग सिक्किम की राजधानी गंतोक गए । वहां पर हमने गरम पानी के अनेक झरने देखें ।
सिक्किम का मौसम बेहद सुहावना था और वहां गर्मी का नामोनिशान नहीं था। सिक्किम की राजधानी गंतोक में हमने वहां के निवासियों की पारंपरिक जीवन शैली देखी । वहां पर स्त्रियां भी पुरुषों की भांति ही कड़ी मेहनत करती हैं । छोटे-छोटे बच्चे भी अपनी मां के कामों में हाथ बढ़ाते हैं । वहां के लोगों का जनजीवन बेहद कठिन और परिश्रम भरा है ।
सिक्किम की राजधानी और उसके आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत था । सिक्किम में सब जगह घूम कर हमें आनंद आ गया । हमने यहां पर कंचनजंगा पर्वत चोटी भी देखी जो भारत की सबसे बड़ी ऊंची पर्वत चोटी है । तुम तुम शीतावकाश की छुट्टियों में कहां गए थे, मुझे बताना ।
शेष बातें अगले पत्र में।
तुम्हारा दोस्त
शेखर
#SPJ2
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