सिक्किम यात्रा के दौरान फौजी छावनी या देखकर लेखिका के मन में उग्र विचारों को अपने शब्दों में लिखिए
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सिक्किम यात्रा के दौरान फौजी छावनी या देखकर लेखिका के मन में उग्र विचारों को अपने शब्दों में लिखिए
सिक्किम यात्रा के दौरान फौजी छावनी या देखकर लेखिका के मन में देश की सीमा पर बैठे फौजीयों को अनेक तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | गर्मी हो या सर्दी उन्हें हर मौसम का सामना करना पड़ता है | वह हिमालय जैसी जगह में भी रहना पड़ता है | राज्यस्थान जैसी गर्मी में भी | यह सब कुछ सहने के बाद भी सैनिक अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह, ईमानदारी, समर्पण तथा अनुशासन से करते है। वह दिल से अपने देश की रक्षा करते है | हमें हमेशा उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए | उनके प्रति हमेशा सम्मान पर प्रेम भावना रखनी चाहिए |
सिक्किम यात्रा के दौरान फौजी छावनी या देखकर लेखिका के मन में उग्र विचारों को अपने शब्दों में लिखिए
सिक्किम यात्रा के दौरान फौजी छावनी या देखकर लेखिका के मन में देश की सीमा पर बैठे फौजीयों को अनेक तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | गर्मी हो या सर्दी उन्हें हर मौसम का सामना करना पड़ता है | वह हिमालय जैसी जगह में भी रहना पड़ता है | राज्यस्थान जैसी गर्मी में भी | यह सब कुछ सहने के बाद भी सैनिक अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह, ईमानदारी, समर्पण तथा अनुशासन से करते है। वह दिल से अपने देश की रक्षा करते है | हमें हमेशा उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए | उनके प्रति हमेशा सम्मान पर प्रेम भावना रखनी चाहिए |