स्कूल बस और वेन में ओवरलोडिंग की समस्या पर निबंध
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अधिकतर निजी स्कूलों के पास अपने वाहन नहीं हैं। इसके चलते लोग अपने बच्चों को किराये के टेंपो और बसों में स्कूल भेजते हैं। ये टेंपो और बस वाले भी लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए वाहनों में क्षमता से कहीं अधिक बच्चों को भरते हैं। साथ ही जिन स्कूलों के पास अपने वाहन हैं, वे भी नियमों का पूरी तरह पालन नहीं करते।
ओवरलोडिंग सबसे बड़ी समस्या
शहर के अधिकतर स्कूली वाहन ओवरलोडिंग में चलते हैं। जिला प्रशासन द्वारा तय किए गए नियमों के अनुसार वैन में आठ विद्यार्थी और टेम्पो के लिए छह विद्यार्थियों का नियम तय किया था, पर इस नियम का पालन नहीं होता। टेम्पो और वैन में स्कूली विद्यार्थियों को ठूंस-ठूंसकर ले जाया जाता है। इससे आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
थोड़े दिनों की चुस्ती, फिर सुस्ती
दुर्घटना होने पर स्कूली वाहनों को नियमों से बांधने के लिए पुलिस और परिवहन विभाग कुछ दिनों के लिए जांच अभियान चलाते हैं। कुछ नियम भी बनाए जाते हैं, पर लगातार अभियान न चलने से स्थिति फिर ढाक के तीन पात वाली हो जाती है।
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