Hindi, asked by Anonymous, 7 days ago

स्किल इंडिया' जैसा कार्यक्रम होता तो क्या तब भी सुकिया और मानो को खानाबदोश जीवन व्यतित करना पड़ता?

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Answered by lakshitasolanki1675
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Answer:

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ ओमप्रकाश वाल्मीकि द्वारा रचित खानाबदोश रचना से ली गई हैं। मानो और सुकिया सब भुलाकर अपना पक्का घर बनाने के सपने को पूरा करने में लगे हुए हैं। सूबेसिंह के गंदे इरादे उनकी राह में रोड़े अटकाना आरंभ कर देते हैं। वह किसी भी कीमत में मानो को हासिल करना चाहता है। अतः वे दोनों पति-पत्नी को परेशान करने के लिए नए-नए बहाने ढूँढ़ता है। आखिर एक दिन वह उनकी हिम्मत तोड़ने में सफल हो जाता है।

व्याख्या- मानो जब रात को बनाई अपनी ईंटों की दुर्दशा देखती है, तो ज़ोर-ज़ोर के रोने लगती है। वे पति-पत्नी बहुत प्रयास करते हैं। सूबेसिंह हर बार उस पर पानी फेर देता है। अब उनके सहने की सीमा समाप्त हो गई है। उनकी बनाई सारी ईंटें तोड़ दी गई हैं। मानो की आँखों से तकलीफ आँसू बनकर गिरने लगती है। हताश मानो को सुकिया रोते हुए देखता है। मानो की आँखों से गिरते हुए आँसुओं को वह तेज़ अँधड़ों के समान देखता है। मानो के हृदय में उठने वाला दर्द, वह अपने ह्दय में महसूस करता है। वह समझ जाता है कि यदि वह यहाँ से नहीं गया, तो जो आगे होगा वह उचित नहीं होगा।

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