स्कूल के बेंच की आत्मकथा निबंध हिंदी
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स्कूल के बेंच की आत्मकथा पर निबंध-
कुछ सालों पहले किसी एक घने जंगल के एक बड़े से पेड़ को करकर मुझे बनाया गया था। कई कुशल बढ़ई ने मुझे सुंदर बनाने के लिए बहुत मेहनत किया हैं। ऐसे हुआ था मेरा जन्म। मैं बहुत खुश थी जब मुझे पता चला की मैं अपनी ज़िन्दगी स्कूल के बच्चों के साथ बिताऊँगी।
सबको छुट्टियां बहुत पसंद हैं। पर मुझे सबसे ज़्यादा पसंद स्कूल का वक़्त हैं। सुबह होते ही कोई न कोई आकर क्लास का दरवाज़ा हैं। बच्चे धीरे धीरे आने शुरू हो जाते हैं। कुछ बच्चे गप्पे लड़ाते हैं और कुछ मस्ती करते हैं। और कुछ बच्चे मास्टर जी के आने से पहले अपनी होम वर्क पूरा करने में लग जाते हैं। फिर जब मास्टर जी आते हैं, बच्चों के साथ मैं भी क्लास सुनती हूँ। रोज़ कुछ न कुछ नया सीखती हु। यहाँ के बच्चों का सबसे पसंदीदा समय हैं लंच ब्रेक। सारे बच्चें अपने ड़िब्बे खोल कर मिल जुलकर खाते हैं। बहुत ख़ुशी होती हैं मुझे बच्चों को ऐसे देखकर। पर मुझे दुःख तब होता हैं जब बच्चें मुझे ख़राब करते हैं और गंदगी फैलते हैं। कुछ अचे बच्चे मेरा ठीक से ख्याल रखते हैं और कुछ बच्चे मुझे तंग करते हैं। पर मैं उसका बुरा नहीं मानती। हमेशा खुश रहती हु, इन्ही बच्चों की तरह। जब स्कूल घंटी बजती हैं, सब बच्चे ख़ुशी खुसी दौड़ते हैं और मैं उनका अगले दिन आने का इंतज़ार करती हूँ। ऐसी हैं मेरी जिंदगी |
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