स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ होने के बहाने गनाए। मान लो, एक बार एसे सचमुच पेट में दर्द हो गया और उसकी बातों पर लोगों ने विश्वास नहीं किया, तब मोहन पर क्या बीती होगी?
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एकांकी -- एक अंक वाले नाटक को एकांकी कहा जाता है।
‘ऐसे-ऐसे’ विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखी एक श्रेष्ठ एकांकी है। इसमें उन्होंने मोहन नामक आठ नौ साल के एक ऐसे लड़के के बारे में बताया है जो तीसरी कक्षा में पढ़ता है और स्कूल का काम नहीं करता है और मास्टर जी की मार से बचने के लिए बीमारी का बहाना करता है।
उत्तर :-
तब मोहन दर्द से कराहता रहा होगा और किसी ने घर में उसकी बात पर विश्वास नहीं किया होगा और उसकी मदद नहीं की होगी। उसे इस पीड़ा में भी अपने द्वारा बनाए गए बहानों पर पश्चाताप हुआ होगा। उसके मन में बार-बार यही विचार आया होगा कि उसे इस प्रकार बहाने नहीं बनाने चाहिए थे। वह सोचता होगा कि अब अगर कोई उसकी सहायता कर देगा तो वह भविष्य में कभी भी काम से बचने के बहाने नहीं बनाएगा। उसने उस पीड़ा से भी एक सबक सीखा होगा।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।