India Languages, asked by mahikagrover06, 5 months ago

सिकिम पर कविता
plz answer this question
Thank you :) ​​​

Answers

Answered by Anonymous
1

Answer:

हिमालय के ऊँचे अटाले पर

दिपदिपाता गंगटोक,

छांगू में बर्फ की छत पर

सिमराती है धूप,

बौद्ध शान्ति की अनुगूँज में

लिपटा है रूमटेक

उनींदा रंगपोह हड़बड़ाकर उठता है

देखते ही टूरिस्ट टैक्सी ।

तिस्ता बदलती है कई रास्ते

सिक्किम कई चेहरे ।

Explanation:

Hope this helps!!!

Answered by cuteangel0001
13

hope it's helpful for you

हिम पर्वत पर मिलने वाला,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।पहले होते ये घंटी से,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।पहले होते ये घंटी से,फिर गुलाब हो जाते।।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।पहले होते ये घंटी से,फिर गुलाब हो जाते।।अंग सभी उपयोगी इसके,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।पहले होते ये घंटी से,फिर गुलाब हो जाते।।अंग सभी उपयोगी इसके,औषधि खूब बनाते।

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।पहले होते ये घंटी से,फिर गुलाब हो जाते।।अंग सभी उपयोगी इसके,औषधि खूब बनाते।रोग भयानक लगने वाले,

हिम पर्वत पर मिलने वाला,फूल बड़े मतवाले।छोटी झाड़ी से पौधे तक,इसके रूप निराले।।छह हजार मीटर ऊंचाई,तक यह पाया जाता।धीमी गति से बढ़कर अपना,सुंदर रूप सजाता।।मूल रूप से सिक्किम का है,सर्दी सहने वाला।मोटे डंठल चौड़ी पत्ती,पौधा बड़ा निराला।।आते ही गरमी का मौसम,फूल अनोखे आते।पहले होते ये घंटी से,फिर गुलाब हो जाते।।अंग सभी उपयोगी इसके,औषधि खूब बनाते।रोग भयानक लगने वाले,छूमंतर हो जाते।।

Mark as BRAINLIST ANSWER

Similar questions