संकेत बिंदुओं के आधार पर सच्ची मित्रता पर अनुच्छेद लिखिए।
:मित्रता का आशय
: सच्चे मित्र की पहचान
:मित्रता सच्ची मागदर्शक
: मित्रता सुखों की जननी
Answers
Explanation:
मित्रता पर निबंध (Essay On Friendship In Hindi) :
भूमिका : जीवन में प्रगति करने और उसे सुखमय बनाने के लिए अनेक वस्तुओं और सुख साधनों की आवश्यकता पडती है। परंतु एक साधन मित्रता के प्राप्त होने पर सभी साधन अपने आप ही इकट्ठे हो जाते हैं। एक सच्चे मित्र की प्राप्ति सौभाग्य की बात होती है। मित्र वह व्यक्ति होता है जिसे कोई पसंद करे, सम्मान करे और जो प्राय: मिले।
मित्रता वह भावना होती है जो दो मित्रों के ह्रदयों को जोडती है। एक सच्चा मित्र नि:स्वार्थ होता है। वह जरूरत पड़ने पर अपने मित्र की हमेशा सहायता करता है। एक सच्चा मित्र अपने मित्र को हमेशा उचित कार्य करने की सलाह देता है। लेकिन इस विश्व में सच्चे मित्र को ढूँढ़ पाना बहुत कठिन है।
मित्रता का अर्थ : मित्रता का शाब्दिक अर्थ होता है मित्र होना। मित्र होने का अर्थ यह नहीं होता है कि वे साथ रहते हो, वे एक जैसा काम करते हों। मित्रता का अर्थ होता है जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का शुभचिंतक हो अथार्त परस्पर एक-दूसरे के हित की कामना तथा एक-दूसरे के सुख, उन्नति और समृद्धि के लिए प्रयत्नशील होना ही मित्रता है।मित्रता सिर्फ सुख के ही क्षणों की कामना नहीं करती हैं। दुःख के पलों में भी मित्रता ढाल बनकर आती है और मित्र की रक्षा के लिए तत्पर होती है। मित्रता के लिए कोई भी नियम नहीं होता है अत: मित्रता किस से करनी चाहिए इस संबंध में निश्चित नियम निर्धारित नहीं हो सकते हैं।
मित्रता का महत्व : मित्रता का बहुत महत्व होता है। जब भी कोई व्यक्ति किसी अन्य के साथ स्वंय को परिपूर्ण समझे, उसके साथ उसकी मुसीबतों को अपना समझे, अपने गमों को उसके साथ बाँट सके। भले ही दोनों में खून का संबंध न हो, जातीय संबंध न हो और न ही इंसानी, सजीवता का संबंध लेकिन फिर भी वो भावनात्मक दृष्टि से उससे जुड़ा हुआ हो यही मित्रता का अर्थ होता है।
एक राइटर को अपने कलम अपनी डायरी से भी वैसा ही लगाव होता है जैसा किसी मित्र से होता है। बचपन में छोटे बच्चों को अपने खिलौने से बहुत लगाव होता है वे उनसे बातें करते हैं, लड़ते हैं जैसे किसी मित्र के साथ उनका व्यवहार होता है वैसा ही व्यवहार वे उस खिलौने के साथ करते हैं।
Answer:
सच्चा मित्र वही होता है जो जीवन के हर मोड़ पर आपके साथ खड़ा हो। जीवन के हर मुश्किल परिस्थिति में आपके संग खड़ा हो और आपको सबसे बेहतर समझे वह सच्चा मित्र कहलाता है। जीवन के हर सुख -दुःख में आपके साथ हो , और अपने मित्र की हर परेशानी में हाज़िर हो जाए , वह होता है , सच्चा मित्र। सच्चा मित्र अपने दोस्त का हमेशा भला चाहता है| जिन्दगी में आधी रात को भी मित्र की ज़रूरत पड़े , उसके लिए दौड़कर चला आता है। जीवन में वह व्यक्ति खुशनसीब होता है जिसे सच्चा मित्र मिलता है। वह सच में भाग्यशाली होता है। आज के दिनों में सच्चा मित्र पाना मुश्किल हो गया है। सच्चा मित्र कभी भी स्वार्थी नहीं होता है , वह अपने मित्र के लिए अपनी सारी खुशियों का त्याग कर सकता है। सच्चा दोस्त हमेशा अपने मित्र का आत्मविश्वास बढ़ाते है।
सच्चा मित्र वह है जिससे कोई भी बात , दुःख -दर्द और परेशानी हम साझा कर सके। जीवन में सभी को एक सच्चे साथी की ज़रूरत होती है। सच्चे दोस्त के साथ जितना प्यार होता है , उतनी लड़ाई भी होती है। अगर जिंदगी में हम कभी निराश हो जाए तो वह हौसले और आशा की किरण बनकर हमारा साथ देते है। अगर हम जीवन में कुछ गलत करते है तो सच्चा मित्र हमे हमेशा सही राह दिखाते है। अगर हमारे आँखों से आंसू छलके तो वह उसे पोंछ देते है अर्थात हमारे जिन्दगी में व्याप्त दुःख और परेशानी को कम कर देते है।
सच्चा मित्र अपनी दोस्ती जीवन पर्यन्त निभाता है। सच्चा मित्र अपना कर्त्तव्य निभाने में कभी पीछे नहीं हठता है। एक सच्चा दोस्त निस्स्वार्थ होकर दोस्त की सहायता करता है। मित्रता सबसे प्यार भरा रिश्ता होता है। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो हर रिश्ते में हो सकती है। माता पिता , बहन , भाई भी हमारे सच्चे और अच्छे दोस्त होते है। दोस्ती हर रिश्ते को खूबसूरत और सहज बना देती है।
दोस्ती खून का नहीं बल्कि दिल से बनाया हुआ रिश्ता होता है। आजकल लोग सच्चा मित्र पाने के लिए तरस जाते है। लोगो के पास इतना वक़्त नहीं है कि वह अपनी दोस्ती निभा सके।मगर सच्चे मित्र अपने व्यस्त जीवन में भी मित्र के लिए समय निकाल लेते है। सच्चे मित्र अनमोल होते है और उन्हें हमेशा हमें संजोय कर रखना चाहिए। सच्चा मित्र एक दवाई की भाँती होते है जो अपने दोस्तों के तकलीफो को दूर कर देता है। सच्चे मित्र मार्ग दर्शक होते है। अगर दोस्त मार्ग भटक जाए तो वह अपनी सच्ची मित्रता निभाकर उसे सही मार्ग पर ले आते है।
सच्चे मित्र की पहचान बुरे वक़्त पर होती है। अक्सर हम कुछ चीज़ो को देखकर कई लोगो को दोस्त बना लेते है। जब परिस्थिति ख़राब होती है , तब पता चलता है कौन सच्चा है और कौन झूठा। सच्चा मित्र प्रत्येक कार्य को पूरा करने में अपने मित्र का जोश बढ़ाता है। सच्चा मित्र अपने दोस्त को जीवन के विषम परिस्थितियों में कभी गिरने नहीं देता है। सच्चा मित्र आजीवन अपने मित्र को उचित मश्वरा देता है और कभी भी उसे बुरे हालातो में टूटने नहीं देता है।
प्राचीन समय में भी सच्ची मित्रता के कई उदाहरण हमे देखने को मिलते है। रामायण में श्रीराम और सुग्रीव की दोस्ती। श्रीराम ने जैसे सुग्रीव की सहायता की , उसी प्रकार सुग्रीव ने भी आखरी वक़्त तक प्रभु श्रीराम का साथ दिया। श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती को कौन नहीं जानता है। श्रीकृष्ण संपन्न राजा थे और सुदामा एक साधारण ब्राह्मण जो भिक्षा करके अपने दैनिक जीवन का गुजारा करते थे। इन सबसे उनकी दोस्ती में कोई फर्क नहीं पड़ा । श्रीकृष्ण ने कभी भी इन चीज़ो को महत्व नहीं दिया क्यूंकि वह सुदामा से बेहद प्यार करते थे। उनकी दोस्ती की मिसाल आज भी हम देते है।
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