संकेतों को भाषा का तीसरा रूप क्यों नहीं माना जा सकता
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संकेत भाषाएं दृश्य माध्यम (दृष्टि) की अनूठी विशेषताओं का दोहन करती हैं। मौखिक भाषा सीधी होती है; एक समय में केवल एक ही ध्वनि उत्पन्न या प्राप्त की जा सकती है। दूसरी ओर, सांकेतिक भाषा दृश्यात्मक होती है; अत: एक ही बार में पूरे दृश्य को देखा जा सकता है।
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