सिकंदर और महात्मा के बीच का संवाद लिखिए चैप्टर 19
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जब सिकंदर पहली बार भारत की ओर बढ़ा और उसने भारत की सीमा में प्रवेश किया तो सिकंदर को एक साधु एक विशाल चट्टान पर लेटा हुआ मिला। सिकंदर की सेना सिकंदर की जय जयकार करते हुए आगे बढ़ रही थी और साधु आराम से लेटा हुआ यह सब देख रहा था। सिकंदर को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि इतनी विशाल सेना उसके इतने पास से गुजर रही है और उस पर कोई असर नहीं हो रहा है। अंततः उसने साधु से संवाद आरंभ किया।
सिकंदर : ओ साधु! मेरी विशाल सेना को देखकर तुम्हें जरा भी डर नहीं लगता। मैंने इस सारी दुनिया को जीत लिया है। मैं एक बहुत बड़ी धन-संपत्ति का मालिक हूँ।
साधु : उस लुटेरे से भला मुझे क्या डर लगेगा, जिसे सब कुछ छीन जाने की आशंका हर समय सताती रहती हो।
सिकंदर : यह तुम क्या बक रहे हो।
साधु : हाँ, सच बोल रहा हूँ। तुम इतनी बड़ी संख्या में निरपराधी लोगों का वध करके धन दौलत एकत्रित करके क्या करोगे।
सिकंदर : मैं अपना पूरा जीवन आराम से सुख-सुविधा और निश्चिंत होकर बिताऊंगा।
साधु : अगर ऐसी बात है तो मैं तो बिना किसी की हत्या किए, बिना किसी को लूटे बिना कोई धन एकत्रित किए भी एकदम शांति से जीवन यापन कर रहा हूँ।
(सिकंदर साधु का उत्तर सुनकर निरुत्तर रह गया)
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