स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्त्वपूर्ण ‘आदमी’ फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था?
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रहते थे। स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्त्वपूर्ण 'आदमी' फौजी जवान क्यों समझने लगता था? स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्त्वपूर्ण आदमी' फ़ौजी जवान इसलिए समझने लगता था, क्योंकि परेड करते समय वह स्काउट की पूरी वरदी पहने, गले में रंगीन रूमाल डाले और इंडिया हिलाते हुए परेड करता था।
Explanation:
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लेखक गुरदयाल सिंह फौज़ी बनना चाहता था। उसने फुल बूट और शानदार वर्दी पहने लेफ्ट-राइट करते फौज़ी जवानों की परेड को देखा था। इसी कारण स्काउट परेड के समय धोबी की धुली वर्दी, पालिश किए बूट तथा जुराबों को पहन वह स्वयं को फौज़ी जवान ही समझता था। स्काउट परेड में जब पीटी मास्टर लेफ्ट राइट की आवाज या मुँह की सीटी बजाकर मार्च करवाया करते थे तथा उनके राइट टर्न या लेफ्ट टर्न या अबाऊट टर्न कहने पर लेखक अपने छोटे-छोटे बूटों की एड़ियों पर दाएँ-बाएँ या एक कदम पीछे मुड़कर बूटों की ठक-ठक की आवाज़ करते हुए स्वयं को विद्यार्थी न समझकर एक महत्त्वपूर्ण फौजी समझने लगता था।
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