Hindi, asked by manshibajpai69, 4 days ago

संकल्प सिद्धिदायकः पाठ के आधार पर आप कैसे अपने जीवन मे अपने संकल्पो को सिद्ध करेंगे लिखिए​

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Answered by PallaviPankhur
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Answer:

hey I have to be a little bit more about your order is as good as it is the same

Answered by Neurosurgeon
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Answer:

प्रस्तुत पाठ में वर्णन किया गया है कि किस प्रकार कठिन तपस्या करके पार्वती ने शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कथा के द्वारा शिक्षा दी गई है कि दृढनिश्चय और कठोर परिश्रम से कठिन-से-कठिन कार्य को पूर्ण किया जा सकता है। इस पाठ से धातुरूपों का अधिक ज्ञान प्राप्त होगा।

Explanation:

summary

इस पाठ में बताया गया है कि दृढ़ इच्छा शक्ति सिद्धि को प्रदान करने वाली होती है। कथा का सार इस प्रकार हैनारद के वचन से प्रभावित होकर पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तप करने की इच्छा प्रकट की। पार्वती की माता मेना उसे तप करने के लिए निरुत्साहित करती हुई कहने लगी कि मनचाहे देवता औरसुख के सभी साधन तुम्हारे घर में हैं। तुम्हारा शरीर कोमल है जो कठोर तप के अनुकूल नहीं है। इसलिए तुम्हें तपस्या में प्रवृत्त नहीं होना चाहिए।

इस पाठ में बताया गया है कि दृढ़ इच्छा शक्ति सिद्धि को प्रदान करने वाली होती है। कथा का सार इस प्रकार हैनारद के वचन से प्रभावित होकर पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तप करने की इच्छा प्रकट की। पार्वती की माता मेना उसे तप करने के लिए निरुत्साहित करती हुई कहने लगी कि मनचाहे देवता औरसुख के सभी साधन तुम्हारे घर में हैं। तुम्हारा शरीर कोमल है जो कठोर तप के अनुकूल नहीं है। इसलिए तुम्हें तपस्या में प्रवृत्त नहीं होना चाहिए।पार्वती ने माता को आश्वस्त करते हुए कहा कि वह किसी भी प्रकार की बाधा से भयभीत नहीं होगी तथा अभिलाषा के पूर्ण हो जाने पर पुनः घर लौट आएगी। इस प्रकार पार्वती अपनी माता को वचन देकर वन में जाकर तपस्या करने लगी। उनकी कठोर तपस्या से हिंसक पशु भी उनके मित्र बन गए। उन्होंने वेदों का अध्ययन किया तथा कठोर तपस्या का आचरण किया।

इस पाठ में बताया गया है कि दृढ़ इच्छा शक्ति सिद्धि को प्रदान करने वाली होती है। कथा का सार इस प्रकार हैनारद के वचन से प्रभावित होकर पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तप करने की इच्छा प्रकट की। पार्वती की माता मेना उसे तप करने के लिए निरुत्साहित करती हुई कहने लगी कि मनचाहे देवता औरसुख के सभी साधन तुम्हारे घर में हैं। तुम्हारा शरीर कोमल है जो कठोर तप के अनुकूल नहीं है। इसलिए तुम्हें तपस्या में प्रवृत्त नहीं होना चाहिए।पार्वती ने माता को आश्वस्त करते हुए कहा कि वह किसी भी प्रकार की बाधा से भयभीत नहीं होगी तथा अभिलाषा के पूर्ण हो जाने पर पुनः घर लौट आएगी। इस प्रकार पार्वती अपनी माता को वचन देकर वन में जाकर तपस्या करने लगी। उनकी कठोर तपस्या से हिंसक पशु भी उनके मित्र बन गए। उन्होंने वेदों का अध्ययन किया तथा कठोर तपस्या का आचरण किया।कुछ समय पश्चात् एक ब्रह्मचारी उनके आश्रम में आया। कुशलक्षेम पूछने के पश्चात् ब्रह्मचारी ने उनसे तपस्या का उद्देश्य जानना चाहा। पार्वती की सहेली के मुख से तपस्या का प्रयोजन जानकर वह जोर से हँसने लगा।

इस पाठ में बताया गया है कि दृढ़ इच्छा शक्ति सिद्धि को प्रदान करने वाली होती है। कथा का सार इस प्रकार हैनारद के वचन से प्रभावित होकर पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तप करने की इच्छा प्रकट की। पार्वती की माता मेना उसे तप करने के लिए निरुत्साहित करती हुई कहने लगी कि मनचाहे देवता औरसुख के सभी साधन तुम्हारे घर में हैं। तुम्हारा शरीर कोमल है जो कठोर तप के अनुकूल नहीं है। इसलिए तुम्हें तपस्या में प्रवृत्त नहीं होना चाहिए।पार्वती ने माता को आश्वस्त करते हुए कहा कि वह किसी भी प्रकार की बाधा से भयभीत नहीं होगी तथा अभिलाषा के पूर्ण हो जाने पर पुनः घर लौट आएगी। इस प्रकार पार्वती अपनी माता को वचन देकर वन में जाकर तपस्या करने लगी। उनकी कठोर तपस्या से हिंसक पशु भी उनके मित्र बन गए। उन्होंने वेदों का अध्ययन किया तथा कठोर तपस्या का आचरण किया।कुछ समय पश्चात् एक ब्रह्मचारी उनके आश्रम में आया। कुशलक्षेम पूछने के पश्चात् ब्रह्मचारी ने उनसे तपस्या का उद्देश्य जानना चाहा। पार्वती की सहेली के मुख से तपस्या का प्रयोजन जानकर वह जोर से हँसने लगा।तब वह ब्रह्मचारी शिव की निंदा करने लगा। वह कहने लगा-शिव अवगुणों की खान है। वह श्मशान में रहता है। भूतप्रेत ही उसके अनुचर हैं। तुम उससे अपना मन हटा लो। शिव से सच्चा प्रेम करने वाली पार्वती शिव की निंदा सुनकर क्रोधित हो गईं। वह उस ब्रह्मचारी को बुरा भला कहने लगी और उसे वहाँ से चले जाने के लिए कहने लगी। ब्रह्मचारी के अडियल रवैये को देखकर पार्वती आश्रम से बाहर जाने को तत्पर हो गई। तब शिव ने अपना वास्तविक रूप प्रकट करके पार्वती से कहा कि मैं ब्रह्मचारी के रूप में शिव ही हूँ। आज तुम परीक्षा में उत्तीर्ण हो गई हो। यह सुनकर पार्वती अत्यधिक प्रसन्न हो गईं।

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