संकलित चित्रों के बारे में निम्न बिन्दुओं पर संक्षेप में विवरण अपने परिवार के सदस्यों अथवा आस - पड़ोस के
विद्यार्थियों तथा वरिष्ठजनों से पता करलिखिए-
चित्र/स्थान
का नाम
वर्तमान उपयोग
इनकी वर्तमान
निर्माण लगभग
कितने
वर्ष पूर्व हुआ
निर्माण किसके निर्माण में कौन-
द्वारा कराया गया कौनसी सामग्री का
उपकया गया
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Answers
Answer:
Explanation:
प्रश्न 1.
निर्देशन की परिभाषा निर्धारित कीजिए। निर्देशन की आवश्यकता, उपयोगिता एवं महत्त्व का भी उल्लेख कीजिए।
या
निर्देशन क्या होता है?
उत्तर :
निर्देशन की संकल्पना एवं अर्थ
(Concept and Meaning of Guidance)
सामाजिक व्यक्ति के जीवन में निर्देशन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। निर्देशन सामाजिक सम्पर्को पर आधारित एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति को इस प्रकार से सहायता प्रदान की जाती है कि वह अपनी जन्मजात और अर्जित योग्यताओं व क्षमताओं को समझते हुए उनका अपनी समस्याओं की स्वतः समाधान करने में उपयोग कर सके। निर्देशन एक सुनियोजित तथा सुव्यवस्थित ढंग की विशिष्टं प्रक्रिया का नाम है जो दो प्रकार के व्यक्तियों के मध्य होती है-पहला वह व्यक्ति जो निर्देशन चाहता है तथा दूसरा अन्य व्यक्ति जो निर्देशन प्रदान करता है। क्योंकि जीवन की प्रत्येक अवस्था में समस्याओं का उदय स्वाभाविक है; अतः निर्देशन प्राप्त केरने वाला व्यक्ति किसी भी आयु-वर्ग से सम्बन्धित हो सकता है, किन्तु निर्देशन प्रदान करने वाला व्यक्ति प्राय: वयस्क, शिक्षित, समझदार तथा अनुभवी होता है। तत्सम्बन्धी क्षेत्र में ज्ञान और अनुभव से युक्त उस व्यक्ति को निर्देशनदाता अथवा परामर्शदाता (Counsellor) या निर्देशन मनोवैज्ञानिक (Guidance Psychologist) के नाम से सम्बोधित करते हैं। निर्देशन प्राप्त करने वाला और निर्देशन प्रदान करने वाला इन दोनों व्यक्यिों में व्यक्तिगत सम्पर्क (Personal Contact) के स्थापित होने के बाद ही निर्देशन प्रक्रिया शुरू होती है। इस प्रक्रिया को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है –
सर्वप्रथम निर्देशक-मनोवैज्ञानिक, निर्देशन चाहने (प्राप्त करने) वाले व्यक्ति को विभिन्न मनोवैज्ञानिक विधियों द्वारा इस योग्य बनाने के लिए विशेष सहायता देता है कि जिससे वह अपनी निजी क्षमताओं, शक्तियों तथा योग्यताओं का भली प्रकार ज्ञान प्राप्त कर सके।
अब उस व्यक्ति को यह मालूम कराया जाता है कि वे अपनी इन समस्त शक्तियों के माध्यम से क्या-क्या कार्य करने में सक्षम है।
इसके साथ ही उस व्यक्ति को उसके वातावरण के तत्वों का यथासम्भव सम्पूर्ण ज्ञान भी कराया जाता है।
निर्देशन प्राप्त करने वाले व्यक्ति को अपनी समस्याओं का विश्लेषण करने तथा उन्हें भली प्रकार समझने हेतु भी सहायता प्रदान की जाती है।
अन्ततः व्यक्ति को यह ज्ञान मिल जाता है कि वह अपनी समस्त क्षमताओं, शक्तियों तथा योग्यताओं का किस भाँति सदुपयोग करे ताकि उसे अपनी समस्याओं का समुचित समाधान तलाशने