संकट कालीन हार्मोन किसे कहते है?
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तनाव व्यक्ति को मानसिक ही नहीं, बल्कि शारीरिक स्तर पर भी बीमार बना सकता है। तनाव से मुक्ति पाने के लिए बहुत जरूरी है स्ट्रेस हार्मोन यानी कॉर्टिसोल को नियंत्रित करना। एड्रेनल ग्रंथि से सक्रिय होने वाला स्ट्रेस हार्मोन ही वास्तव में रक्तचाप को नियमित करता है, लेकिन इसकी अधिक सक्रियता से प्रतिरोधक क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ने लगता है। आइए जानते हैं कि इसकी सक्रियता पर उचित नियंत्रण रखने के लिए किन तरीकों को अपनाना जरूरी है और वैज्ञानिक रूप से ये तरीके कितने फीसदी कॉर्टिसोल स्तर कम कर सकते हैं। बोलो ‘ओम’ थाईलैंड में छह हफ्तों तक किए गए एक शोध में सामने आया है कि जो बुद्धिस्ट मेडिटेशन करते है,ं उनके शरीर में तनाव बढ़ाने वाला कॉर्टिसोल हार्मोन व रक्तचाप दोनों ही नियंत्रित रहते हैं। वहीं, महर्षि यूनिवर्सिटी द्वारा चार माह तक किए अध्ययन के मुताबिक जो लोग नियमित रूप से मेडिटेशन व ‘ओम’ का उच्चरण करते हैं, उनके शरीर में यह हार्मोन २क् फीसदी तक नियंत्रित रहता है। काली चाय लें यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के अनुसार काली चाय के सेवन से तनाव दूर हो सकता है। अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों को तनावयुक्त टास्क दिया गया। उनमें से जो लोग नियमित रूप से काली चाय का सेवन करते थे, उन्होंने असाइनमेंट मात्र एक घंटे में पूरा कर लिया था और उनके शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन ४७ फीसदी तक नियंत्रित था। मसाज थैरेपी तनाव होने पर मसाज थैरेपी बहुत कारगर होती है। इससे शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी राहत मिलती है। यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोध के अनुसार मसाज सेशन से कॉर्टिसोल हार्मोन तो कम होता ही है। साथ ही डोपामाइन और सेरोटॉनिन हार्मोन की सक्रियता भी बढ़ती है। ये ‘फील गुड’ हार्मोन है, जिससे व्यक्ति को अच्छा महसूस होता है। च्युइंगम खाएं जब भी तनाव महसूस हो, तो तुरंत च्युइंगम मुंह में डाल लीजिए। यूके की नॉर्थम्ब्रिया यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार तनावपूर्ण स्थिति में च्युइंगम खाने से बनने वाले सलायवा में कॉर्टिसोल हार्मोन १२ फीसदी तक कम हो सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि च्युइंगम से शरीर का रक्त संचार तो तेज होता ही है, साथ ही स्नायु संबंधी सक्रियता भी बढ़ती है।